उज्जबेकिस्तान के सुई धागे से बने कपड़ो पर कारिगरी मोह रही दर्शकों का मन हाथ की कढ़ाई व कताई की कला का कर रहे प्रदर्शन

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सूरजकुंड(फरीदाबाद), 29 मार्च। अपनी समृद्घ लोक परंपरा व हस्तशिल्प कला से विदेशी कलाकारों और शिल्पकारों ने 35 वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले को आकर्षण का केंद्र बना दिया है। हर स्टाल पर लगे उत्पाद लोगों का मन मोह रहे हैं। बड़ी चौपाल के सामने मुख्य मार्ग पर उज्जबेकिस्तान के सुई धागे से बनी कपड़ो पर कारिगरी अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में पर्यटकों का मन मोह रही है।

मेला के मुख्य द्वार के बाद थोड़ी ही दूरी पर हमे पार्टनर देश उज्जबेकिस्तान की स्टालों के दर्शन होने लगते हैं। यहां मुख्य सडक़ के दाईं ओर बड़ी चौपाल के सामने ये दुकानें लगाई गई है।

तासकंद की नीलोफर व गुलमीरा ने बताया कि वे उज्जबेकिस्तान के कपड़ो पर सुई धागे से कारिगरी के सामान को सूरज कुण्ड मेले में लाई है। इनमें मुख्य रुप से पर्श,लैपटाप बैग, टेबल कवर, तकिए के कवर, कुर्ते, जाकेट, हैण्ड बैग, चद्दर सहित अन्य घरेलु सामान मेरे में दर्शकों का मन मोह रही है।

उन्होने बताया कि पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स दिल्ली, हरियाणा पर्यटन विभाग, सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और विशेष रूप से मेला अधिकारी राजेश जून की वो शुक्रगुजार हैं। भारत की मीडिया ने भी उनके उत्पाद को मशहूर बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सरकार ने उज्जबेकिस्तान को मेले का पार्टनर तो बनाया ही, साथ में उनकी पूरी टीम को अपना सहयोग दिया है। वे और उनकी टीम के सदस्य यहां आकर प्रसन्न हैं व किसी प्रकार की तकलीफ नहीं है। उन्होने बताया कि इस मेले में उज्जबेकिस्तान को अलग से गेट बनवाकर मार्किट द्वार बनाया गया हैं।

गुलमीरा ने बताया कि भारत सरकार ने उज्जबेकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानक पहचान दिलवाई है। उनके सभी कपड़ो के डिजाइन को बनाने में पूरी तरह से हाथ की कारीगरी की जाती है। कहीं भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता। मेला परिसर की बड़ी चौपाल के समीप कारीगर पर्यटकों के सामने ही अपने हाथ से कढ़ाई, कातने की कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।

उनके साथ शिल्पकारों, कलाकारों, कर्मचारी व अधिकारियों का दल आया है। इनके पास एक से बढकर एक कारीगरी के नमूने हैं।

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