Faridabad News, 13 Feb 2020 : पराली अब समस्या नहीं बल्कि मुनाफे का सौदे के साथ साथ समाधान भी हो सकता है। इसका सही मायने में संदेश दे रही हैं जम्मू कश्मीर की संस्था मुक्ति। 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में जम्मू की स्टाल नंबर 961 में पराली से बनी चप्पल, वॉल हंगिंग, योगा मैट, बसौली पेंटिग, पटटू आदि देख कर पर्यटक चकित रह गए। मुक्ति संस्था की अनुगवाई में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से ग्रमीण स्तर पर पराली से बनी इस सामग्री को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मुक्ति संस्था की संस्थापक व चेयरपर्सन निधी शर्मा ने बताया कि सूरजकुंड मेले में जम्मू की कई महिलाएं भाग लेकर वहां के हस्तशिल्प को दर्शा रही हैं। पर्यटक भी हस्तशिल्प की कला में अच्छी खासी रुचि दिखा रहे हैं और पराली से बनी वस्तुओं के बनाने का तरीका भी पूछ रही हैं। मेले में पहुंची 45 वर्षीय सरला देवी, रोहतक की बिमला, लाली आदि ने कहा कि पराली से चप्पल आदि भी बन सकती है। इसका पता मुझे सूरजकुंड मेले में ही पता चला। उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वावलंबी बनने तथा अपनी परिवार का पालन पोषण करने अथवा परिवार की आमदनी बढ़ाने का बेहतर विकल्प बन सकता है।
मुक्ति संस्था की संस्थापक निधी शर्मा ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले जम्मू के एक गांव में जागरूकता मुहिम के दौरान कुछ महिलाओं को पराली से बनी वस्तुएं बनाते हुए देखा था। तभी से उन्हे लगा कि संस्था के माध्यम से वे भी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकती है। उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा सरकार उन्हे इस कला के प्रचार प्रसार व प्रशिक्षण के लिए बुलाएंगी तो वे नि:शुल्क अपनी सेवाएं देने को तैयार है और उन्हे खुशी होगी।