Faridabad News, 5th April 2021 : जहाँ कोरोना संक्रमण ने एक बार फिर से तीव्र गति पकड़ी हैं वहीं कुछ यूनिवर्सिटियां भी कोरोना को बढ़ावा देने में अपना अहम योगदान दे रही हैं जिनमें से फरीदाबाद की लिंग्याज़ विद्यापीठ भी एक हैं। सरकार कोरोना को लेकर एक तरफ तो नई-नई गाईडलाइन लेकर आ रही हैं और दूसरी तरफ प्रदेश की कई यूनिवर्सिटियां सरकार की गाईडलाइन को ठेंगा दिखाते हुए ऑफलाइन मोड़ में एग्जाम करवाकर सरकार की कोरोना रोकने की कोशिश को नाकाम कर रही हैं। ऐसा एनएसयूआई हरियाणा के प्रदेश महासचिव कृष्ण अत्री ने जारी ब्यान में कहा।
एनएसयूआई हरियाणा के प्रदेश महासचिव कृष्ण अत्री ने कहा कि 1 अप्रैल को लिंग्याज़ विद्यापीठ के द्वारा छात्रों की ऑफलाइन मोड़ में परीक्षाएं कराने के तुग़लकी फरमान के बारे में पता चला। उसी दिन छात्रों की तरफ से हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, शिक्षा मंत्री तथा लिंग्याज़ विद्यापीठ के वाईस चांसलर को ईमेल के माध्यम से पत्र लिखकर छात्रों की परीक्षाएं ऑनलाइन मोड़ में कराने के लिए अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल से ही यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ फ़ोन के माध्यम से बातचीत हो रहीं थीं और छात्रों की समस्या का समाधान करने का आश्वासन भी मिल रहा था लेकिन आज 5 अप्रैल को जब वीसी के साहयक ने फ़ोन करके बताया कि अब परीक्षा का माध्यम नही बदला जा सकता, अब बहुत देरी हो चुकी हैं।
कृष्ण अत्री ने कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार की नाक की नीचे ये यूनिवर्सिटियां कोरोना को बढ़ावा देने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के कई छात्र या उनके परिजन कोरोना संक्रमित हैं तो कई छात्र काँटेन्मेंट जोन में हैं। अत्री ने कहा कि ऐसे समय में पड़ोस के कई राज्यो में लॉकडाउन लगा हुआ हैं और कोरोना संक्रमण तेजी से फैल भी रहा हैं तो छात्रों को यूनिवर्सिटी में आकर परीक्षाएं देना कितना सुरक्षित रहेगा इस बात का अंदाजा लगा पाना की असंभव हैं।
कृष्ण अत्री ने सरकार तथा यूनिवर्सिटी प्रशासन से सवाल पूछते हुए कहा कि अगर छात्रों को परीक्षा देते समय कोरोना हो जाता हैं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार या फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन उन छात्रों के ईलाज की जिम्मेदारी लेगा? उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए प्रदेश की तमाम यूनिवर्सिटियो को ऑनलाईन मोड़ में एग्जाम कराने का आदेश देना चाहिए तथा जो यूनिवर्सिटियां नही मान रही है उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही अमल में लानी चाहिए।