February 19, 2025

दुनिया की तमाम इंसानियत के लिए ये मुहर्रम का महीना इबरत के लिए : धर्मबीर भड़ाना

0
996
Spread the love

Faridabad News, 11 Sep 2019 : मुहर्रम किसी त्योहार या खुशी का महीना नहीं है, बल्कि ये महीना बेहद गम से भरा है। इतना ही नहीं दुनिया की तमाम इंसानियत के लिए ये महीना इबरत (सीखने) के लिए है। उक्त वक्तव्य बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी के प्रत्याशी धर्मबीर भड़ाना ने मंगलवार को आदर्श नगर में आयोजित मुहर्रम के कार्यक्रम में कहे। इस अवसर पर आप नेता धर्मबीर भड़ाना का मुस्लिम समाज के लोगों ने स्वापा पहनाकर जोरदार स्वागत किया और उन्होंने लाठियां भांजकर अपने हाथ भी आजमाए। धर्मबीर भड़ाना ने कहा कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से ही होती है। इसे साल-ए-हिजरत (जब मोहम्मद साहब मक्के से मदीने के लिए गए थे) भी कहा जाता है। उन्होंने मुहर्रम का इतिहास बताते हुए कहा कि आज से लगभग 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने में इस्लामिक तारीख की एक ऐतिहासिक और रोंगटे खड़े कर देने वाली जंग हुई थी। इस जंग की दास्तां सुनकर और पढक़र रूह कांप जाती है। बातिल के खिलाफ इंसाफ की जंग लड़ी गई थी, जिसमें अहल-ए-बैत (नबी
के खानदान) ने अपनी जान को कुर्बान कर इस्लाम को बचाया था। इस जंग में जुल्म की इंतेहा हो गई, जब इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीटर दूर कर्बला में बादशाह यजीद के पत्थर दिल फरमानों ने महज 6 महीने के अली असगर को पानी तक नहीं पीने दिया। जहां भूख-प्यास से एक मां के सीने का दूध खुश्क हो गया और जब यजीद की फौज ने पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को नमाज पढ़ते समय सजदे में ही बड़ी बेहरमी से कत्ल कर दिया। इस जंग में इमाम हुसैन के साथ उनके 72 साथियों को भी बड़ी बेहरमी से शहीद कर दिया गया। उनके घरों को आग लगा दी गई और परिवार के बचे हुए लोगों को कैदी बना लिया गया। जुल्म की इंतेहा तब हुई जब इमाम हुसैन के साथ उनके उनके महज 6 महीने के मासूम बेटे अली असगर, 18 साल के अली अकबर और 7 साल के उनके भतीजे कासिम (हसन के बेटे) को भी बड़ी बेरहमी से शहीद किया गया। इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानी की याद में ही मुहर्रम मनाया जाता है। मुहर्रम के इस पर्व को शिया और सुन्नी दोनों समुदाय के लोग मनाते हैं। हालांकि, इसे मनाने का तरीका दोनों का काफी अलग होता है। इस अवसर पर उनके साथ आम आदमी पार्टी के मजबूत साथी कृष्ण कुमार कांगड़ा
मौजूद थे।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *