Faridabad News, 08 Jan 2021 : ऑनलाइन शिक्षण और अधिगम की बढ़ती माँग को देखते हुए वर्तमान में षिक्षको को षिक्षण प्रक्रिया की गुणवत्ता में वृद्धि करने और पारम्पारिक शिक्षण- प्रणाली में सुधार करने हेतु प्रषिक्षित करने के उद्देष्य से डीएवी षताब्दी कॉलेज में आई.क्यू.ए.सी. के सौजन्य से तीन दिवसीय षिक्षक प्रषिक्ष्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में ऑनलाइन षिक्षण -तकनीकी, षिक्षण अधिगम मूल्यांकन प्रक्रिया एवं षिक्षण और षोध के पारस्परिक सम्पर्क को अपने आपे क्षेत्र में पारंगत विषेशज्ञों के द्वारा जूम प्लेटफॉर्म के माध्यम से षिक्षको को समझाया गया। प्रषिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिन एम. डी. यू. रोहतक के वाणिज्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष और डीन डॉ. रविन्द्र विनायक ने उच्च षिक्षण संस्थानों के षिक्षकों के लिए षोध की महत्ता पर जोर देते हुए बताया कि एक अच्छे षिक्षक के लिए एक अच्छा षोधकर्ता होना भी अति आवष्यक है। कार्यषाला के द्वितीय दिन जे. एस. बोस. यूनिवर्सिटी साइंस एवं टेक्नोलॉजी फरीदाबाद से प्रो. डॉ. एस.के. बेदी. ने षिक्षण-विधियों में गुणवत्ता लाने और समकालीन तकनीकी युग में ऑनलाइन षिक्षण उपकरणों के उपयोग को आवष्यक बताते हुए विभिन्न उपकरणों की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रिंस सत्ताम बिन अब्दुल अज़ीज यूनिवर्सिटी, सउदी अरेबिया से कैमिस्ट्री विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काकुल हुसैन ने बताया कि षिक्षक और छात्र दोनो ही अपने-अपने क्षेत्र में एक दूसरे का मूल्यांकन करते हुए षिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सुगम बनाते है। इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ सविता भगत के कुषल मार्गदर्षन और सहयोग से किया गया। डॉ सविता भगत ने कहा कि इस कठिन दौर में छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए षिक्षक को षिक्षण के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी अधिक गंभीरता से और कुषलता से निभानी चाहिए। आई.क्यू.ए.सी. के कोटॉर्डिनेटर और कार्यक्रम के संचालक प्रोफेसर मुकेष बंसल ने सभी मुख्य वक्ताओं का परिचय देते हुए उनका हार्दिक अभिनन्दन किया कार्यक्रम के अंतिम दिन एस. एफ. एस. की ओवर ऑल कोऑर्डिनेटर डॉ. अर्चना भाटिया ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम षिक्षक हित में करते रहने का आष्वासन दिया। कार्यक्रम में 95 से अधिक षिक्षक षिक्षिकाओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के सफलता पूर्वक आयोजन में ललिता ढिंगरा, रजनी टूटेजा, रितु खेरा, बिंदु रॉय और दिनेष कुमार का विषेश सहयोग रहा।