थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन से लकवाग्रस्त को किया जा सकता है ठीक : डॉ. रोहित गुप्ता

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Faridabad News : वर्ल्ड स्ट्रोक डे के मौके पर सेक्टर-16ए स्थित मेट्रो अस्पताल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अस्पताल के चेयरमैन डॉ. एसएस बंसल ने की। कार्यक्रम में उपस्थित अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक या दिमाग का दौरा भारत में दिल का दौरा और कैंसर के बाद मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। विकलांगता का भी इसे प्रमुख कारण माना जाता है। स्ट्रोक धमनी में रुकावट या असामान्यता के कारण मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में कमी आ जाने के कारण होता है। स्ट्रोक के इलाज के मामले में समय का काफी महत्व है। पिछले कुछ सालों में जहां विकसित देशों में जहां स्ट्रोक का लेबल घटा है। वहीं भारत में यह बढ़ा है।

जिले में रोजाना 40-50 स्ट्रोक के सामने आ रहे है। केवल मेट्रो हॉस्पिटल में ही रोजाना 3 से 4 नए मरीज की पहचान की जा रही है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि तीव्र स्ट्रोक और लकवाग्रस्त रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन नई तकनीक है। मेट्रो अस्पताल में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। स्ट्रोक के अब तक करीब 300 से अधिक रोगियों को थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन से ठीक किया जा चुका है। उन्होंने स्ट्रोक मुख्य कारण स्ट्रेसफुल लाइफ और धूम्रपान, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, बढ़ता लिपिड स्तर। ऑफिसों में लोग अपने काम को अगले दिन पर छोड़ देते है। इससे काम का बोझ बढ़ता जाता है। इससे धीरे-धीरे तनाव से ग्रसित हो जाते है। तनाव से बचने के लोग ऑफिस के बाहर निकल कर सिगरेट के छल्ले उड़ाते है। शराब आदि का सेवन करते है। रात में देर से घर पहुंचते है। इस दौरान लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिए डॉ रोहित ने फेसबुक पर लाइव सेशन पर किया गया। इस दौरान देश दुनिया में बैठे लाखों लोगों ने फेसबुक के जरिए अपनी समस्या से संबंधित सवाल जबाव किए। इस तकनीक से इलाज के लिए उम्र की कोई समय सीमा नहीं है। बदलती लाइफस्टाइल में आज 15 से 20 पर्सेंट रोगी 40 से कम उम्र के सामने आ रहे है।

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