Faridabad News, 20 Oct 2020 : श्रीराम कथा के तीसरे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। कथावाचक श्री हरिमोहन गोस्वामी जी ने कहा कि धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। भगवान चारांे दिशाओं में विद्यमान है। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन की भक्ति ही है। भगवान राम के जन्म की व्याख्या करते हुए बताया कि सतकृपा के तप से भगवान ने राजा दशरथ व रानी कौशल्या के घर जन्म लिया। भगवान राम के जन्म की व्याख्या के दौरान जैसे ही कथा व्यास ने भजन गाया वैसे ही श्रोता झूम उठे।
बता दें कि श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रीरामायण जी की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कथावाचक श्री हरिमोहन गोस्वमी जी और पंडित नीरज शर्मा के साथ पंडाल में उपस्थित तमाम श्रद्धालुओं ने संगीतमय वंदना गाया।
हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचन्द शर्मा जब कथा पंडाल में आए तो सनातन संस्कृति से इनका स्वागत किया गया। कथावाचक विधायक पंडित नीरज शर्मा ने ने परिवहन मंत्री श्री शर्मा को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। अपने संबोधन में परिवहन मंत्री मूलचन्द शर्मा ने ने कहा कि जिस प्रकार से हमारो भाई और विधानसभा के साथी नीरज जी ने यह श्रीराम कथा का आयोजन किया है, उसके लिए हम उनका आभार प्रकट करते हैं। यह जगत कल्याण के निमित्त है। भगवान श्रीराम सबका कल्याण करते हैं।
भारत सरकार की पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा भी श्रीराम कथा पंडाल में आईं और रामचरितमानस का पुण्य कमाया। कथा वाचकों ने इन्हें मंच पर बुलाया और इनका स्वागत किया। अपने संबोधन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि आज के युवा पीढ़ी को भगवान श्रीराम के जीवन से सीखना चाहिए। यदि आपके बड़े-बजुुर्ग आपसे कुछ कहते हैं, तो उसमें आपकी भलाई छिपी होती है। राम जी को जब बनवास मिला, तो वे खुशी-खुशी सीता औ लक्ष्मण के साथ चले गए। इसे उन्होंने कभी दंड नहीं माना। आप स्वयं जानते हैं कि राम वनवास गए, तो श्रीराम कहलाए। कुमारी शैलजा ने वर्तमान समााजिक परिस्थितियों में भगवान श्रीराम और सीता के जीवन के प्रसंग को सुनाते हुए लोगों से अपील की कि अपने परिवार और अपने पूर्वजों के संस्कार का पालन करें। सयंमित और मर्यादित जीवन जीने का जो उदाहरण रामचरितमानस में है, वह अन्यत्र कहीं नहीं है।
कथावाचक एनआईटी फरीदाबाद के विधायक पंडित नीरज शर्मा ने कहा कि यदि आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी है, तो अपना नाता केवल भगवान श्रीराम से जोड़े। यकीन मानिए, जब आप स्वयं को उनके चरणों में समर्पित कर देंगे, तो वे आपको इस भवसागर से पार लगा देंगे। मनुष्य की चार प्रजाति बताई। प्रथम नर राक्षस जो सदैव दूसरे को नुकसान पहुंचाता है। दूसरा नर पशु ये मनुष्य अपने जीवन को निरीह प्राणी की तरह जीते हैं। तीसरा सामान्य नर ये अच्छा जीवन यापन करते हैं एवं अच्छे संस्कार के होते हैं, लेकिन न तो किसी अच्छे का साथ देते है न तो बुरे लोगों को उनके कर्मांे में रोकने का प्रयास करते हैं। चौथे प्रकार का मनुष्य सबसे उत्तम प्राणी होता है वह अपने जीवन से परोपकार, धर्म व संस्कार, दूसरों की चिंता करता है।