Faridabad News, 19 Aug 2019 : समाज को संभालने के लिए अनेक बार संतों को समाज के आम व्यक्ति जैसा आचरण करना पड़ता है। लेकिन इस आचरण में भी संत से समाज सीख लेता है। यह बात आध्यात्मिक गुरु एवं उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आज श्री सिद्धदाता आश्रम में कही। वह आश्रम के अधिपति स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी की माता अशर्फी देवी की तेरहवीं पर पहुंचे थे।
यहां पहुंचकर सतपाल महाराज ने माता के चित्र को नमन किया और उनके पुत्र एवं श्री सिद्धदाता आश्रम के अधिपति जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी का परंपरा अनुसार तिलक किया। इस अवसर पर उन्होंने आश्रम के साथ अपने अनुभवों पर भी बात की। श्री सतपाल महाराज ने आश्रम के संस्थापक स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज के साथ भी अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी ने अपने गुरु व पिता की विरासत को जिस तरह से संवारा और आगे बढ़ाया, उससे उन्होंने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने लोकाचार और अध्यात्म के बीच एक अनोखा सांमजस्य प्रस्तुत किया है। जिसे लाखों भक्तगण अपने जीवन में सीख ले रहे हैं।
आज स्वामीजी की माता अशर्फी देवी के तेरहवें में शामिल होने के लिए हजारों लोगों में शामिल अनेक बुद्धिजीवी, साधु संत, पत्रकार, अधिकारी, नेतागण आदि पहुंचे। जहां हजारों लोगों ने अपनी श्रद्धांजलि एवं भावनाएं प्रकट कीं।
माता अशर्फी देवी का सात अगस्त को देहांत हो गया था। वह श्री सिद्धदाता आश्रम के संस्थापक स्वामी सुदर्शनाचार्य जी की धर्मपत्नी एवं वर्तमान स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी की मां थीं।