Faridabad News, 07 Dce 2018 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार को 8वें अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार 2018 के अंतर्गत ‘प्रतिष्ठित कुलपति पुरस्कार’ के लिए नामित किया गया है। यह पुरस्कार आल इंडिया काउंसिल आफ ह्यूमन राइट्स, लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस द्वारा शिक्षा के माध्यम से शांति, सद्भाव, संरक्षण और मानव अधिकारों के प्रति बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
यह पुरस्कार प्रो. दिनेश कुमार को कुलपति के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए दिया जा रहा है जोकि ऐसे व्यक्तियों, विश्व शांति प्रेरकों, प्रतिष्ठित व्यवसासियों, संस्थाओं एवं संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए उत्कृष्ट कार्य किया हो। इस पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन नई दिल्ली में इंडिया इस्लामिक सेंटर के सभाागर में 9 दिसम्बर, 2018 को किया जायेगा, जिसके अंतर्गत पुरस्कार स्वरूप ‘उत्कृष्टता प्रमाण पत्र’ प्रदान किया जायेगा।
एक कुशल प्रशासक तथा प्रतिबद्ध शोधकर्ता की पहचान रखने वाले प्रो. दिनेश कुमार जिन्होंने मास्टर व पीएचडी की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से हासिल की है, जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के पांचवें कुलपति है और उन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के प्रतिष्ठित होमी जे. भाभा मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। एक शिक्षाविद् के रूप में उन्हें 30 वर्षाें से अधिक का अध्यापन का अनुभव है और उनके 100 से ज्यादा शोध पत्र राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं।
उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। इस दौरान विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड मान्यता प्राप्त हुई तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों को एनबीए मान्यता प्राप्त हुई। विश्वविद्यालय ने पहली बार एनआईआरएफ रैंकिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। विश्वविद्यालय को संबद्धता का दर्जा प्राप्त हुआ और आज पलवल तथा फरीदाबाद के 18 इंजीनियरिंग कालेज विश्वविद्यालय के साथ संबद्ध है। प्रो. दिनेश कुमार के निरंतर प्रयासों के कारण ही विश्वविद्यालय को केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा टीईक्यूआईपी-3 व रूसा के तहत 27 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त करने में सफलता मिली, जिससे विश्वविद्यालय में अकादमिक व ढांचागत विकास को बल मिला।