Faridabad News, 08 April 2019 : संत सूरदास की जन्मस्थली सीही गांव एक बार फिर 42 साल पुराने इतिहास दोहराने के कगार पर आ गया है। 1977 में गांव सीही के रहने वाले धर्मबीर वशिष्ठ कांग्रेस की टिकट लाकर विजयी हुए थे वहीं अब फिर मनधीर सिंह मान भी बसपा की टिकट लाकर इतिहास रचने के करीब पहुंच गए है। गांव सीही में रविवार को एक महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें सर्व समाज ने एक स्वर में मनधीर मान के पक्ष में हुंकार भरते हुए उन्हें भारी मतों से विजयी बनाकर लोकसभा भेजने का ऐलान किया। महापंचायत की अध्यक्षता बच्छू सिंह तेवतिया ने की। ग्रामीणों ने कहा कि कुछ नेता कहते है कि उन्होंने उनके गांव को गोद ले लिया परंतु गांव सीही इतना सक्षम है, जो सभी को गोद में ले सकता है। महापंचायत में बुजुर्गाे, युवाओं व पुरुषों सहित महिलाओं ने भारी संख्या में इक्कठे होकर सर्व सम्मति से निर्णय लिया कि वह मनधीर मान को पूर्ण समर्थन देंगे और उसे विजयी बनाने के लिए हर स्तर पर कार्य करेंगे। अपने गांव के लोगों से मिले प्यार व आर्शीवाद से उत्साहित बसपा प्रत्याशी मनधीर मान ने कहा कि मेरी लड़ाई केवल टिकट लाने की थी, अब यह चुनाव आपको लडऩा है इसलिए अब आप ही तय करें कि अपने बेटे, भाई को किस तरह से विजयी बनाकर भेजेंगे। उन्होंने कहा कि वह नेता नही बल्कि जनसेवक के रुप में लोगों की सेवा में समर्पित है और पिछले कई सालों से इस लोकसभा क्षेत्र के लोगों की आवाज बुलंद तरीके से उठा रहे है, अब जब पार्टी ने उन्हें लोकसभा से उम्मीदवारी की जिम्मेदारी दी है तो वह चाहते है कि वह इस क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होकर संसद पहुंचे ताकि इस क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाकर दूर करवा सके। उन्होंने कहा कि वह अपने पैतृक गांव से आज अपने चुनावी अभियान का शंखनाद कर रहे है और उन्हें पूरा विश्वास है कि गांव सीही नहीं बल्कि समूचा फरीदाबाद क्षेत्र उन्हें मान सम्मान देकर भारी मतों से विजयी बनाएगा। महापंचायत में पंडित ताराचंद, चौधरी दरियाब सिंह, चौधरी नबाब मलिक, मुख्तयार सिंह, कुँवर मलिक, मा बीरसिंह, सोहनलाल जांगिड़, छंगा खान, अनिल जेलदार, पूर्व पार्षद कुलदीप तेवतिया, अशोक वैष्णव, डॉ बनवारी लाल गुप्ता, गिर्राज तेवतिया, तेजा बाल्मीकि, बाबूलाल बोहानिया, पंडित ज्ञान, योगेश पहलवान, रूपेश मलिक, हरि प्रजापत, महावीर, गोपाल, चौधरी उदयभान, अनिल तेवतिया, हरिचंद मान, भीमसिंह मान, अमित मान, वेदप्रकाश शास्त्री समेत पूरे गांव की सरदारी मौजूद रही।