Faridabad News : मानव सेवा समिति द्वारा आयोजित की जा रही श्रीरामकथा के सातवें दिन कथा प्रसंग में राम, लक्ष्मण, सीता के वन गमन, राम केवट संवाद का प्रसंग सुनाया गया। राम, लक्ष्मण, सीता की वन गमन की सुंदर झांकी का सभी भक्तजनों ने दर्शन किया और उनके चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त किया। कथाव्यास स्वामी महामंडलेश्वर जगत प्रकाश महाराज ने कहा कि ‘‘विनास काले विपरीत बुद्धि’’ जब घर में कोई विपत्ति आनी होती है तो बुद्धि विपरीत हो जाती है। राजा दशरथ की पत्नी केकई श्रीराम से बहुत प्यार करती थी लेकिन उसकी दासी मंतरा ने कुटल बातें कर करके केकई की बुद्धि खराब कर दी। जिसके फलस्वरूप केकई ने अपने पुत्र भरत के लिए राजसिंघासन मांगा और जो सिंघासन श्रीराम को मिलने वाला था उनके लिए वनवास मांगा।
अत: मनुष्य को सदैव अच्छे लोगों के पास बैठना चाहिए, सत्संग में जाना चाहिए और सभी का भला करना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि कलयुग में भी रामराज की बात अक्षर लोग करते हैं लेकिन रामराज वह होता है जिसमें गरीब, अमीर सभी सुखी हों। राजा प्रत्येक प्रजा का ख्याल रखे। ईमानदारी उस राज्य में प्रत्येक में हो और किसी को कोई कष्ट न हो, ऐसे ही रामराज की स्थापना हमारे भारत में होनी चाहिए। कथा सुनने के लिए शहर के समाजसेवी विनोद गर्ग, संत गोपाल गुप्ता, एस.के. गर्ग, अरुण सर्राफ, दिनेश अग्रवाल, मुकेश बंका, अमर बंसल, पी.के. देव, टी.पी. माहेश्वरी, बाबूराम गुप्ता सहित समिति के कई पदाधिकारी व दानी सज्जनों ने भाग लेकर कथा का अमृतपान किया और यथासंभव आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
इस अवसर पर दिखाई गई राम, लक्ष्मण, सीता की सुंदर झांकी के आगे झूम-झूम के नृत्य करके वातावरण को भावविभोर किया। सुबह की नवग्रह पूजा यजमान गौतम चौधरी व शिक्षाविद् सी.बी. रावल ने की और उन्होंने स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के अध्यक्ष पवन गुप्ता, चेयरमैन अरुण बजाज, मुख्य संयोजक कैलाश शर्मा, कार्यक्रम संयोजक रान्तीदेव गुप्ता, अमर खान, उनकी टीम के सदस्य वाई.के. माहेश्वरी, एस.सी. गोयल, बांकेलाल सितौनी, रमा सरना आदि ने आए हुए अतिथियों का स्वागत स्वामी जी से माला पहनाकर करवाया। रान्ती देव ने बताया कि यह कथा 16 दिसंबर तक दोपहर 2.30 से 6.30 बजे तक जारी रहेगी। कथा का समापन रविवार 17 दिसंबर को सुबह यज्ञ-हवन व दोपहर भण्डारे के साथ किया जाएगा। समिति ने शहर के सभी दानी सज्जन व समाजसेवियों से अपील की है कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए आयोजित की जा रही इस रामकथा में आकर कथा का अमृतपान करें और अधिक से अधिक दान देकर पुण्य कमाएं।