Faridabad News, 11 July 2019 : सराय ख्वाजा स्थित सरकारी सीनियर सैकंडरी स्कूल की जूनियर रेडक्रास और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्या नीलम कौशिक की अध्यक्षता में अंग्रेजी प्रवक्ता, एम्बुलेंस ब्रिगेड तथा जूनियर रेडक्रास प्रभारी रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम काआयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कक्षा बारह विज्ञान की छात्रा ज्योति ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण उपलब्ध संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है, आबादी बढ़ने के प्रमुख कारण अशिक्षा और निर्धनता है। ज्योति ने कहा बढ़ती आबादी के कारण महिलाओं को ज्यादा दंश झेलना पड़ा है। विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जनसंख्या और उससे जुड़े मुद्दों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया गया था। लगभग तीन दशकों से इस दिवस को स्तर पर मनाया जा रह है।
इस अवसर पर अंग्रेजी प्रवक्ता रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि यह दिन बढ़ती जनसंख्या से संबंधित समाधान मुद्दों को खोजने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है। इस दिन को मनाने की प्रेरणा 11 जुलाई, 1987 को “फाइव बिलियन डे” से मिली। यह वह दिन था जब दुनिया की आबादी 5 बिलियन तक पहुंच गई थी। तब से अब तक यह दिन जनसंख्या से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है।इसमें ध्यान देने वाली बात है कि जो गरीब देश हैं, वहां जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही हैं। इनमें भारत, चीन, नाईजीरिया, पाकिस्तान, इथोपिया, कांगो, तंजानिया, इंडोनेशिया और मिस्र महत्त्वपूर्ण देश हैं। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि गरीबी दूर करने, समानता लाने, भूख और पोषण खत्म करने और स्वास्थ्य एवं शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में मुख्य बाधक हैं। जीवन प्रत्याशा भी विश्व औसत से 7 साल कम है। इसमें एक महत्त्वपूर्ण कारण स्वास्थ्य पर कम खर्च किया जाना है। भारत में सबसे कम खर्च स्वास्थ्य पर है।इसमें ध्यान देने वाली बात है कि जो गरीब देश हैं, वहां जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही हैं। इनमें भारत, चीन, नाईजीरिया, पाकिस्तान, इथोपिया, कांगो, तंजानिया, इंडोनेशिया और मिस्र महत्त्वपूर्ण देश हैं। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि गरीबी दूर करने, समानता लाने, भूख और पोषण खत्म करने और स्वास्थ्य एवं शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में मुख्य बाधक हैं। जीवन प्रत्याशा भी विश्व औसत से 7 साल कम है। इसमें एक महत्त्वपूर्ण कारण स्वास्थ्य पर कम खर्च किया जाना है। भारत में सबसे कम खर्च स्वास्थ्य पर है। मनचंदा ने कहा कि भारत की आबादी में हर मिनट 34 और हर दिन 49481 नए बच्चे भारत की आबादी में जुड़ जाते है। विश्व की आबादी एक अरब 1804 में हुई थी और अगले 200 वर्षों में छ अरब और बढ़ गए। जरूरत हैं कि हम आबादी कि इस रफ्तार को रोकने के लिए गरीबी उन्मूलन और शिक्षा के प्रसार के लिए सार्थक और गंभीर प्रयास करें। इस अवसर पर प्राचार्या नीलम कौशिक, रविन्द्र कुमार मनचन्दा, रेणु शर्मा, शारदा, रूपकिशोर, बिजेंद्र, वेदवती तथा अन्य प्राध्यापकों ने छात्रा ज्योति द्वारा जनसंख्या दिवस पर अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए और अन्य छात्रों को जागरूक करने के लिए सराहना की।