Faridabad News, 06 Feb 2019 : 33वें सूरजकुंड मेले में हरियाणवी संस्कृति की पहचान बनी हरियाणा धरोहर की स्टॉल सैलानियों को लगातार अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। जिम्बाब्वे से आए मंजे हुए कलाकार चाल्र्स, लुईस, मबंडे, महंडे, चिनयॉमबेरा व चोकोटो जो मेला शुरू होने से अभी तक बड़ी चौपाल पर उनके देश का पारंपरिक नृत्य कुम्बा व अन्य एक्टों के द्वारा लगातार दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। ग्रुप के कलाकार आज हरियाणा दर्शन के स्टॉल के सामने से गुजरते हुए एक कुम्हार की कारीगरी देखकर रूक गए जो चाक के द्वारा मिट्टी को तराशकर मूर्त रूप दे रहा था। जिम्बाब्वे से आए चाल्र्स व लुईस ने मिट्टी के बर्तन बना रहे कलाकार के साथ बैठकर स्वयं बर्तन बनाने का अनुभव लिया। उन्होंने कहा कि यहां की संस्कृति बहुत महान है। दुनिया के इतने आगे बढने पर भी यहां के लोग यहां की प्राचीन संस्कृति को बचाए रखने के लिए पीढियों से यह काम कर रहे हैं ऐसा बहुत कम देशों में देखने को मिलता हैै। उन्होंने इस मौके पर बर्तन बनाने वाले कुम्हार के साथ सेल्फी भी ली। हरियाणवी धरोहर के कर्मचारियों मोंटी शर्मा, नरेन्द्र, रोहित छिक्कारा व अशोक पुनिया ने सैलानियों को चॉक से बर्तन बनाने का इतिहास विस्तापूर्वक समझाया।
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले डीग कैथल निवासी बलबीर सिंह ने बताया कि वे पीढी दर पीढी इस काम को करते आ रहे हैं और वे स्वयं 25 साल से इस विधि द्वारा बर्तन बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही वे महीने के पांच हजार रूपये तक कमा पाते हों परंतु उन्हें संतुष्टिï है कि वे प्लास्टिक की संस्कृति से परे मिट्टी से बर्तन बनाकर प्रर्यावरण को संरक्षित रखने में अपना योगदान कर पा रहे हैं।