Gurugram News : आठ साल की तरूशिका (बदला हुआ नाम) के दिमाग में जब टेपवार्म अंडे पाए गए तो उसके अभिभावक सदमे में आ गए कि कैसे उनकी हंसती खेलती बच्ची दिमागी बीमारी से ग्रस्त हो गई। दरअसल तरूशिका को पिछले छह महीने से गंभीर सिरदर्द और मिर्गी के दौरे पड़ रहे थे और इस वजह से उसे फोर्टीस अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल में भर्ती होने से पहले तरूशिका के दिमाग में कई सिस्ट होने की वजह से न्यूरोसिस्टीसरकोसिस बीमारी बताई गई थी और इसी कारण दिमाग में सूजन आ गई थी। सूजन को कम करने के लिए उसे लंबे समय तक स्टेरॉयड लेने पड़े जिससेे उसका वज़न 40 किलो से 60 किलो हो गया और इस वजह से उसे चलते समय सांस लेने में दिक्कत होने लगी। हालांकि लगातार भारी-भरकम डोज़ लेने के बावजूद उसे मिर्गी और सिरदर्द बना हुआ था।
लगातार दर्द और मिर्गी की वजह जानने के लिए सीटी स्कैन किया तो पता चला कि उसके दिमाग में 100 से ज्यादा सिस्ट दिखाई दिए बल्कि यह सिस्ट टेपवार्म अंडे थे जो पेट से खून के रास्ते दिमाग में चले गए। जब तरूशिका अस्पताल में भर्ती हुई तो वह बेहोश थी क्योंकि दिमाग में सौ से ज्यादा सिस्ट होने के कारण सूजन बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।
गुड़गांव के फोर्टीस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉयरेक्टर डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते, ‘‘ बच्ची के दिमाग में स्कैन करने पर सौ से ज्यादा सफेद बिंदु दिखाई दिए जो कि टेपवार्म अंडे थे। यह इंफेक्शन ग़लती से टेपवार्म संक्रमित खाना खाने से हुई थी। नर्व सिस्टम के जरिए अंडे दिमाग में पहुंच जाने पर वह न्यूरोसिस्टीसरकोसिस (एनसीसी) से ग्रस्त हो गई, जिससे उसे गंभीर सिरदर्द, मिर्गी के दौरे और उलझन महसूस होने लगी थी।
सबसे पहले उसके दिमाग की सूजन को डीकंजेस्टेंट के जरिए कम करने की कोशिश की गई और फिर स्टेरॉयड दिए गए। इसके बाद धीरे धीरे सिस्ट यानि कि टेपवार्म अंडों का इलाज एल्बेनडाज़ोल के साथ एनटिहलमिनथिक थेरेपी से शुरू किया गया और फिर धीरे धीरे स्टेरॉयड और एनटिहलमिनथिक थेरेपी को रोक दिया गया। इससे उसका वज़न कम होने लगा और वह पैदल चलकर स्कूल जाने लगी।
पिछले छह महीने से परेशान तरूशिका के पिता इलाज के बाद राहत महूसस कर रहे थे। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ हमें बिल्कुल भी अंदाजा ही नहीं था कि हमारी खुशमिज़ाज और सेहतमंद बच्ची को ऐसी खतरनाक बीमारी हो जाएगी। मुझे लगता है कि हम बहुत भाग्यशाली है कि हमारी बेटी को समय पर इलाज मिल गया और अगर टेपवार्म अंडों से कीड़े निकल आते तो हमारी बेटी के दिमाग को ज्यादा नुकसान पहंुचा सकते थे।‘‘
तरूशिका के माता पिता इलाज और बेटी की तेज़ी से होती रिकवरी को लेकर काफी खुश है। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि इतने कम समय में तरूशिका दोबारा स्कूल जाने लगी है और वह फिर से खेलने कूदने लगी है।
समय पर सही इलाज मिलने से तरूशिका का न सिर्फ सिरदर्द और मिर्गी के दौरांे की बीमारी खत्म हुई बल्कि दवाइयों की वजह से जो उसका वज़न बढ़ा था, वह भी समय के साथ कम हो गया।
डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा, ‘‘ अकसर लोगों को पता ही नहीं होता लेकिन टेपवार्म इंफेक्शन बहुत आम है। यह संक्रमण अच्छे से फल, सब्जियां न धोने और मीट को ठीक से न पकाने के कारण पेट में चले जाते है। इन टेपवार्म को टेनिया सोलियम कहते है। इसके लक्षण तभी दिखाई देते जब इसके सिस्ट विकसित होने लगते है और अकसर सेंट्रल नर्व के जरिए न्यूरोसिस्टीसरकोसिस, कंकाल की मांसपेशियों, आंखांे और त्वचा को प्रभावित करते है। हालंाकि कभी कभी सिस्टिकीरसोसिस से पीडित लोगों को किसी भी तरह के लक्षण दिखाई ही नहीं देते।‘‘
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के अनुसार मिर्गी होने का मुख्य कारण सेंट्रल नर्व सिस्टम से टेपवार्म का होना है। डब्लूएचओ के अनुसार दुनियाभर में मिर्गी की रोकथाम में न्यूरोसिस्टीसरकोसिस का इलाज सबसे प्रमुख कारण है और यह सभी तरह के मिर्गी के मामलों में 30 फीसदी का कारण बनता है।1
विशेषज्ञों का मानना है कि मिर्गी के दौरो की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि खाना धोते और बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते है, ‘‘ शौचालय का इस्तेमाल करते समय साफ सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ फल सब्जियां को खाने से पहले बहुत अच्छे से धोना और मीट पकाते समय टेपवार्म इंफेक्शन से बचने के लिए खास एतिहयात बरतनी चाहिए। अगर जिंदगी के बाद के सालों में कभी मिर्गी के दौरा पड़े तो दिमाग में टेपवार्म संक्रमण होना भी एक कारण हो सकता है।