अमर जवान ज्योति को बुझा, सरकार ने दो पीढ़ियों के जज्बात और यादें खत्म की: डॉ सुशील गुप्ता

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चंडीगढ, 22 जनवरी। हम सरकार के इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाए जाने का स्वागत करते है, मगर भारत के गुमनाम सैनिक की श्रद्धांजलि का प्रतीक, अमर जवान ज्योति को बुझा कर वॉर मेमोरियल की ईटरनल फ्लेम मे मिलाने का विरोध भी करते है। यह कहना है आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद व हरियाणा सहप्रभारी डा सुशील गुप्ता का।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के दिल मे 50 वर्षों से जलती आ रही अमर जवान ज्योति, जो भारत के गुमनाम सैनिक की श्रद्धांजलि का प्रतीक भी है को बुझा कर वॉर मेमोरियल की ईटरनल फ्लेम मे मिला दिया गया है, जो कि उनकी नजर में गलत है। क्या हम दो जगह पर शहीदों को श्रद्वाजंलि देने के लिए अमर जवान ज्योति को जला कर नहीं रख सकते।

डा गुप्ता ने कहा कि इंडिया गेट जिसे पहले भारतीय वॉर मैमोरियल कहा जाता था 90,000 सैनिकों को समर्पित है। जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया आर्मी मे 1914-1921 के बीच शहादत दी। ब्रिटिश आर्मी के 13,300 सैनिक और अफसरों के नाम इंडिया गेट पर लिखे हुए हैं। 1972 मे बांग्लादेशी स्वतंत्रता युद्ध के बाद इंडिया गेट के अंदर काले मार्बल पर उल्टी बंदूक और सैनिक की हेलमेट के साथ अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया। गुमनाम सैनिक को श्रद्धांजलि का प्रतीक अमर जवान ज्योति पिछले 50 वर्षों से लगातार जल रही थी। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के एक सैनिक 24 घंटे अमर जवान ज्योति की निगरानी पर तैनात रहते थे। साधारण भारतीयों को अपने सैन्य बल के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बहुत ही भावात्मक स्थल रहा है।

उन्होंने कहा भाजपा की केन्द्र सरकार ने पिछले 50 वर्षों की दो पीढ़ियों के जज्बात और यादों के प्रतीक को कल बुझा दिया गया हैै। 400 कदम दूर राष्ट्रीय समर स्मारक की ईटरनल फ्लेम मैं अमर जवान ज्योति का स्थानांतरण कर दिया गया। साधारण नागरिकों ने अफसोस जताया है की उनके बचपन की याद को बिना किसी विशेष वजह से खत्म कर दिया गया। इंडिया गेट के आस-पास पिकनिक मनाना, बोट राइडिंग करना, चिल्ड्रंस पार्क में खेलना और राजपथ पर आइसक्रीम खाना यह सब हमारे बचपन का हिस्सा है। अमर जवान ज्योति को जलते देख सभी अनगिनत सैनिकों का स्मरण किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा और आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इतिहास बना तो नहीं सकती, हां इतिहास मिटाने का काम जरूर कर रही है।

उन्होंने सवाल किया कि कौन सा देश है जो अपने वीर सिपाहियों के नाम दो ज्योति को ऊर्जा नहीं दे सकता? केन्द्र की भाजपा सरकार में भारत के इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है और 2014 के पहले के राष्ट्रीय चिन्हों को खत्म करने का प्रयास हो रहा है।

हालांकि उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडिया गेट पर प्रतिमा लगाए जाने के प्रसास को सरकार का एक अच्छा कदम बताया। लेकिन देश के इतिहास को बदलने के सरकार के प्रयास की निंदा भी की है।

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