Chandigarh News : दादूपुर-नलवी नहर के मुद्दे पर विपक्ष व सत्ता पक्ष के बीच शुरु हुई यह लड़ाई लम्बी चलने वाली है। प्रदेश सरकार ने नहर के लिए अधिग्रहीत की जमीन को किसानों को वापस लौटाने का फैसला कर लिया है, इसी क्रम में यमुनानगर में अनिश्चितकालीन धरने का कार्यक्रम शुरु हो गया है और दूसरी ओर विपक्ष ने इसे भुनाने के लिए अपनी कमर कस ली है।
किसान यूनियन ने साफ कहा
खट्टर सरकार मंत्रिमंडल की बैठक में दादूपुर-नलवी नहर परियोजना को बंद करने का निर्णय ले चुकी है। साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि किसानों को उनकी जमीन के अधिग्रहण के लिए मिले मुआवजे को 15 फीसदी ब्याज के साथ सरकार को लौटना होगा। ऐसा करने पर ही किसानों को उनकी जमीन वापस लौटाई जा सकेगी। किसान इसके लिए कतई तैयार नहीं हैं। किसान यूनियन ने साफ कर दिया है कि किसान सरकार को कोई पैसा नहीं देंगे। इस का समर्थन करते हुए विपक्ष ने नहर बनवाने के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है।
पूरा विपक्ष हुआ एकजुट
किसानों के समर्थन और नहर का निर्माण पूरा करने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला यमुनानगर में अलग-अलग दिनों में किसानों के साथ धरने पर बैठ चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि दादूपुर-नलवी नहर पर 300 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि खर्च हो चुकी है। यह नहर उत्तर हरियाणा के चार-पांच जिलों के लिए फायदेमंद है, इसलिए इस परियोजना को रद नहीं करने दिया जाएगा। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला भी नहर निर्माण बंद करने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर इनेलो खट्टर सरकार के विरुद्ध आंदोलन शुरू करेगा।
खाजाना खाली?
गौरतलब है कि अदालत के फैसले के अनुसार खट्टर सरकार को नहर के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन के मुआवजे के तौर पर किसानों को अरबों रुपए का और भुगतान करना होगा। खट्टर सरकार इतना मुआवजा देने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि भाजपा सरकार ने बढ़ा हुआ मुआवजा दे कर नहर निर्माण के बजाए इस परियोजना को ही रद करना ठीक समझा है लेकिन यह फैसला सरकार के गले की फांस बन गया है।
सरकार का पक्ष
सतलुज-यमुना जोड़ नहर निर्माण के मामले में खट्टर सरकार पहले ही पंजाब सरकार से उलझी हुई है। अब दादूपुर-नलवी नहर को बंद करने का निर्णय कर एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। हालांकि, खट्टर सरकार न केवल अभी अपने निर्णय पर टिकी हुई है, बल्कि विपक्ष को ललकार भी रही है। सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि 6 अक्तूबर को दादुपुर-नलवी नहर से प्रभावित शाहाबाद क्षेत्र के गांवों के सैकडों किसानों का एक बड़ा दल चंडीगढ़ पहुंचेगा और नहर को डिनोटिफाई करने के सरकार के निर्णय को न्यायोचित बताते हुए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करेगा।
बेदी के मुताबिक इसी दिन मुख्यमंत्री खट्टर किसानों से व्यक्तिगत रूप से रूबरू होंगे। उन्होंने कहा कि दादुपुर-नलवी नहर के सवाल पर कांग्रेस हो या इनेलो, उनकी बैठकों में ऐसे लोगों को इकट्टा कर भीड़ जुटाई जा रही है, जिनका इस नहर से कोई लेना देना नहीं है। बेदी ने नहर व किसान हित के मुद्दों पर इनेलो व कांग्रेस को खुली चुनौती दी कि दिन, समय व स्थान तय कर कहीं भी उनके साथ इस मुद्दे पर खुली बहस की जा सकती है।