डिप्रेशन व चिंता से हृदय रोग के जोखिम में 65 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है

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Sonipat News, 26 April 2019 : एक ताजा अध्ययन ने संकेत दिया है कि हृदय के स्वास्थ्य के लिए चिंता और अवसाद (डिप्रेशन) उतने ही हानिकारक हैं, जितना कि धूम्रपान और मोटापा। ऐसे लोगों में हृदय की समस्याओं और स्ट्रोक की संभावना क्रमश: 65 प्रतिशत और 64 प्रतिशत तक होती है। इस बारे में बात करते हुए, शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल में कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के डायरेक्टर, डॉ. नवीन भामरी ने कहा, अवसाद हल्की सूजन से जुड़ा हुआ है, जो आगे धमनियों को बाधित कर सकती है और उनमें कोलेस्ट्रॉल से भरी पट्टिका यानी प्लेक फटने का कारण बन सकती है। इसके अलावा, चिंता और अवसाद दोनों की वजह से तनाव हार्मोन का उत्पादन बढऩे लगता है, जो रक्त के प्रवाह में वृद्धि के लिए दिल और धमनियों की प्रतिक्रिया को सुस्त कर सकता है। इन स्थितियों के लक्षणों के कारण रक्तप्रवाह में प्लेटलेट्स के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है।

डॉ. भामरी ने आगे कहा, अवसाद और चिंता के असली कारण की पहचान करना और जल्द से जल्द इलाज की तलाश करना महत्वपूर्ण है। वैकल्पिक रूप से, हृदय रोग वाले लोग या जिन लोगों का इलाज चल चुका है, उन्हें अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए, सक्रिय रहना चाहिए और स्वस्थ भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से चिंता कम होगी और आगे की जटिलताएं भी कम होंगी।

कुछ सुझाव जो डिप्रेशन को दूर रख सकते हैं और दिल को स्वस्थ रख सकते हैं : नियमित शारीरिक गतिविधि अवश्य करें और अपना वजन कम रखें , धूम्रपान और अल्कोहल जैसे जोखिम वाले कारकों से बचें , योग और ध्यान जैसी तकनीकों के माध्यम से तनाव से बचे, अपने आहार में सोडियम का सेवन कम करें, अपने भोजन में फ ल और सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें, साथ ही भोजन में साबुत अनाज भी शामिल करें, क्योंकि वे फाइबर और पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत हैं। आंतों के अच्छा स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है और तनाव को दूर रखता है।

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