Chandigarh News : शहर के भीम स्टेडियम में 9 अक्तूबर तक चलने वाली तीन दिवसीय राज्य स्तरीय पंचायती राज सम्मेलन में पहुंची सैंकडों महिलाओं को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब लोकल पुलिस ने उनके सिर से चुनरी व दुपट्टे उतरवाकर बेरिकेट के पोल के बांध दिए।
हरियाणा के स्वर्ण जयंती वर्ष के मौके पर राज्य के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मुख्यमंत्री खट्टर के प्रोग्राम में आमंत्रित किया गया था लेकिन प्रदर्शन की आशंका से डरी पुलिस ने काले कपड़े यहां तक की दुप्पटे भी पहन कर आई महिलाओं को समारोह स्थल में प्रवेश नहीं करने दिया गया। महिलाओं के काले दुपट्टे बाहर ही उतरवा लिए गए।
इनमें से कई महिलाओं की शिकायत थी कि समारोह के बाद उनके दुपट्टे मिले नहीं। दुपट्टे गायब हो जाने के सवाल का जवाब देने के बजाए पुलिस का कहना था कि प्रोग्राम में काले कपड़े पहन कर नहीं आने का नियम है। समारोह में आई उन महिलाओं लिए स्थिति असहज गई, जो काले सूट, काला बैग, काला चश्मा या काला दुपट्टा ओढ़ कर आई थीं।
महिलाओं के दुपट्टे उतरवाए जाने के बारे में जब शिक्षा मंत्री से पूछा गया कि उन्होंने सफाई दी कि सरकार की तरफ से ऐसे कोई आदेश नहीं थे। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने अपने स्तर पर ये काम किया है। हालांकि शिक्षा मंत्री यह भूल गए कि प्रशासन कौन चलाता है।
मंत्री जी नहीं मिले काली पट्टी बांधे किसानों से
हरियाणा में यमुनानगर जिले के किसान दादूपुर-नलवी नहर बंद करने के सरकार के फैसले के विरोध में ससौली गांव में आये सामाजिक सुरक्षा राज्य मंत्री कृष्ण बेदी से मिलना चाहते थे। किसानों ने विरोध स्वरूप बाहों पर काली पट्टी बांधी हुई थी। यह जानकारी मिलने पर बेदी ने कहा कि जो किसान उनसे मिलना चाहते हैं, उन्हें काली पट्टी उतार कर आना होगा, इस शर्त पर किसान भड़क गए जिसके बाद और पुलिस के साथ उनकी तीखी नोक-झोंक भी हुई लेकिन किसानों ने काली पट्टियां हटाने से इनकार कर दिया।