Chandigarh News, 12 June 2021 : राज्य सभा सांसद एवं आम आदमी पार्टी हरियाणा के प्रभारी डॉ सुशील गुप्ता ने कहा है कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पूरे हरियाणा में कोरोना से भारी संख्या में मौतें हुई हैं,लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोरोना से हो रही इन मौतों को छुपा रहा है तथा कोरोना से हुई मौतों को इतनी कम संख्या में दिखा रहा है की जो असल आंकड़ों से किसी भी तरह से मेल नहीं खा रहे हैं। उन्होंने इन आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार हर गावं और शहरों में मौते होने का निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से सर्वे कराये तथा मौतों के आंकड़े को दुरुस्त कर सही आंकड़ा सार्वजनिक करे।
उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश मे ऐसा कोहराम मचाया की सरकार के सभी व्यवस्थाएं अस्त व्यस्त हो गयीं। न किसी को अस्पतालों में बेड मिला और न ही दवाईयां। ऊपर से ऑक्सीजन न मिलने के चलते सैंकड़ों मरीजों ने दम तोड़ दिया। प्रदेश सरकार ने हाथ खड़े कर लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया। नतीजन इस दौरान हर रोज हज़ारो की संख्या में लोगों की कोरोना बीमारी की वजह से मृत्यु हुई थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इन आंकड़ों को गलत दिखाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हो रही मौतों के आंकड़ों पर नज़र दौड़ाई जाए तो आम तौर पर स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में शहरों में हुई कुल मौतों में से तकरीबन केवल 15 से 20 प्रतिशत वहीँ गावों में हुई मौतों में से केवल 5 से 10 प्रतिशत तक ही मौतों को कोरोना से हुई मौते दर्शाई हैं। जो की असल मौतों के सामने यह आंकड़ा कहीं भी नहीं ठहरता। स्वास्स्थ्य विभाग द्वारा दिये गए मौतों तथा असल में हो रही मौतों के आंकड़ों में भारी अंतर नज़र पाया जा रहा है। जिन गावों में कोवीड से मौतें हुई हैं उनको को तो कहीं रिकार्ड में लिया ही नहीं गया है। उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा के कुछ चुनिंदा गावों का ही निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से सर्वे कराया जाए तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आयेंगें। उन्होंने मांग की है कि अप्रेल और मई के महीनों में कितनी मौते हुई हैं उनका सही तरीके से सर्वे कर सरकार आंकड़े सार्वजनिक करे जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और पता चल जाएगा की सरकारी आंकड़े कितने हैं और असल आंकड़े कितने ?
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कह रही है कि कोरोना महामारी से होने वाली मौत पर मरीज के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ मौतों के मृत्यु प्रमाण पत्र तक भी नहीं दिए जा रहे हैं। जिसके चलते मजबूरी बस लोग अब उच्च न्यायालय तक की शरण में जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है और वह मृतकों के परिजनों को मुआवजा देना ही नहीं चाहती क्योंकि जब सरकार प्रदेश में कोरोना से हो रही मौतों का सही रिकार्ड नहीं रखा जा रहा है तो न तो मृतक के परिजनों को मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र मिलेगा और न ही उन्हें प्राकृतिक आपदा से हुई मौतों का किसी भी तरह का कोई मुआवजा ही मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोग सरकार की उस घोषणा को भी संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं जिसमें सरकार ने कहा है कि कोरोना की वजह से जो बच्चे अनाथ हो गए हैं उन्हें सरकार पेंशन देगी तथा पढ़ाई की खर्चा उठाएगी। उन्होंने हैरानी व्यक्त कि,की जब सरकार के पास कोरोना से मरने वालों का रिकार्ड ही नहीं है तो अनाथ बच्चों को कैसे तलाशेगी ? जिससे साबित हो रहा है की सरकार की नीयत ठीक नहीं है और कथनी और करनी में भारी अंतर है।