Chandigarh News, 12 Dec 2018 : सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने कहा है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश की तरह हरियाणा में भी चुनाव में सरकार को कर्मचारियों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। संघ के महासचिव सुभाष लाम्बा ने बताया कि तीनों राज्यों में कर्मचारियों के चले आन्दोलनों का बातचीत से समाधान करने की बजाय दमन एवं उत्पीडऩ से कर्मचारी आन्दोलनों को दबाने के लगातार प्रयास किए गए। उन्होंने बताया कि राजस्थान में रोडवेज कर्मचारियों की चुनाव अधिसूचना जारी होने तक हड़ताल जारी रही, लेकिन सरकार ने बातचीत तक करना जरूरी नहीं समझा। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 6 महीने से निरंतरता के साथ संघर्ष करते रहे, लेकिन सरका ने बातचीत के बजाय दमन एवं उत्पीडऩ का रास्ता ही अख्तियार किया। जिसके कारण तीनों राज्यों के कर्मचारियों, मजदूरों एवं उनके परिवारों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी थी। जिसका खामियाजा तीनों ही सरकारों को चुनावों में भुगतना पड़ा। उन्होंने बताया कि 8-9 जनवरी, 2019 को कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल की ऐतिहासिक सफलता सुनिश्चित कर सरकार को सांगठनिक ताकत का अहसास कराने का कार्य करेंगे। जिसकी तैयारियों शुरू कर दी गई हैं।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा ने बताया कि हरियाणा सरकार भी राजस्थान व छत्तीसगढ़ के नक्शेकदम पर चल रही है। भाजपा सरकार चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों को 4 वर्ष बीत जाने के बावजूद लागू करने में पूरी तरह विफल रही है। 10 सितम्बर को विधानसभा घेराव के दौरान कर्मचारियों पर किए गए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज, वाटर कैनन व आंसूगैस के गोले दागकर और नेताओं के विरुद्ध झूठे मुकद्दमे बनाकर आन्दोलनों को दबाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों की 18 दिन चली हड़ताल के बावजूद सरकार चंद ट्रांसपोर्टरों को लाभ पहुंचाने के लिए प्राईवेट बसों को किराए पर लेने के निर्णय से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को पीटने के लिए एस्मा जैसे काले कानून को लगाते हुए हजारों रोडवेज कर्मचारियों को जेलों में डाल दिया और हजारों को बर्खास्त व निलंबित कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार माननीय पंजाब एण्ड हरियाणा हाईकोर्ट की भावनाओं के विरुद्ध लगातार उकसावेपूर्ण कार्यवाहियां कर रही है। बिना पर्याप्त स्टाफ के ओवरटाइम बंद करना, रात्रि ठहराव को समाप्त करना, लम्बी दूरी के रूटों पर परिवहन सेवाएं बंद करना और 355 चालक-परिचालकों को नौकरी से हटाना सरकार के उकसावेपूर्ण कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुरानी पैंशन स्कीम व एक्सग्रेसिया रोजगार स्कीम को बहाल करने, पंजाब के समान वेतनमान व पैंशन देने, विधानसभा में बिल पारित कर संघ के सुझावों अनुसार सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, समान काम-समान वेतन देने, कैशलेस मेडिकल सुविधा प्रदान करने आदि मांगों को लेकर सरकार का घोर उपेक्षापूर्ण रवैया जारी है। जिसको लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।