Nuh News :आंकड़ों के हिसाब से जिले के सबसे शिक्षित गांवों में शुमार शिकरावा गांव की बेटियों का जीवन अंधकार में इसलिए है क्योंकि गांव के स्कूल में 300 छात्राओं को पढ़ाने के लिए केवल एक अध्यापक है। अकेले ही आठ कक्षाओं के बच्चों की हाजरी लेते हैं।
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम के जन्मदिन पर मेवात के इस स्कूल की कहानी उनके सपनों पर आंसू बहा रही है। दरअसल राजकीय गर्ल्स मीडिल स्कूल शिकरावा में बेटियों की शिक्षा के नाम पर शिक्षा विभाग मजाक कर रहा है। स्कूल का प्रांगण, भवन तो देखने लायक है ,लेकिन इसके अंदर की सच्चाई जान कर आप भी शिक्षा विभाग और मंत्री के दावों की हकीकत जानकर नफरत करने लगेंगे। जिले के सबसे शिक्षित गांवों में शुमार शिकरावा गांव की बेटियों का जीवन अंधकार में है। गांव के स्कूल में लगभग 300 लड़के – लड़कियां हैं लेकिन इनको पढ़ाने के लिए केवल एक अध्यापक है।
ये अध्यापक छुट्टी पर हो तो स्कूल में तो लगता है ताला
अकेले अध्यापक महोदय को आठ रजिस्टर उपस्तिथि के भरने पड़ते हैं और डाक का काम भी संभालना होता है। खुद की तबियत नासाज हो जाये या फिर बीबी बच्चों की तो छुट्टी तक नहीं करते, कर भी लें तो स्कूल बंद ही करना पड़ेगा। प्राइमरी- मिडिल एक ही प्रांगण में चलते हैं। स्कूल में मिड-डे मील, पानी, शौचालय की व्यवस्था तो है लेकिन बिजली नहीं है। जब बिजली नहीं है, तो एजुसेट की बात करना तो किसी बेईमानी से कम नहीं है।
बस बच्चों को घेर कर बैठा होता है
स्कूल में पांचवीं तक 169 बच्चे तो आठवीं तक 120 लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। स्कूल में 12 कमरे बन कर तैयार हैं और चार कमरे निर्माणाधीन हैं। कई एकड़ का प्रांगण है। आप अंदाजा लगाइये की एक अध्यापक ऐसे हालात में कैसे बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकता है। पांचवीं तक का अध्यापक मिडिल तक के बच्चों को कैसे पढ़ा सकता है। पांच महीने से अकेला अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के बजाय बच्चों को घेर कर बैठा रहता है।
अदालत जाने को मजबूर अभिभावक
ऑनलाइन तबादलों से पहले स्कूल में चार अध्यापक थे, लेकिन अब स्कूल में केवल एक ही टीचर है। मुख्याध्यापक के साथ स्वीपर कम चौकीदार है। महज दो कर्मचारियों के भरोसे शिकरावा का कन्या मिडिल स्कूल चलाया जा रहा है। कागजों में तो बड़े – बड़े दावे किये जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर भी शिक्षा मंत्री जी का ध्यान जाना चाहिए।
ग्रामीणों में विभाग के प्रति भारी नाराजगी है और उन्होंने तो अध्यापकों की नियुक्ति को लेकर अदालत जाने का मन बना लिया है। ये सिर्फ जिले के एक स्कूल के हालात हैं, ऐसे दर्जनों स्कूल मेवात जिले में शिक्षा विभाग के दावों की हवा निकाल रहे हैं। शिक्षा विभाग ऐसे हालातों को जानते हुए भी परीक्षा परिणामों को लेकर मेवात को बदनाम करने में कोई कमी नहीं रखना चाहता। बोर्ड की परीक्षाएं हो या फिर मंथली एग्जाम मेवात कई बार टीचरों की कमी की वजह से फिसड्डी रहा है।