Gurugram News, 20 May 2019 : उच्च-रक्तचाप को प्राय: ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में यह सबसे सामान्य बीमारियों में से एक बन गया है। उच्च-रक्तचाप को कार्डियो-वैस्क्यूलर बीमारियों जैसे-स्ट्रोक, हृदयाघात, किडनी की गंभीर बीमारी तथा कपल्स की प्रजनन आयु में प्रजनन संबंधी समस्याओं के प्रमुख कारणों में से एक के रूप में जाना जाता है। इनमें से प्रमुख समस्याओं में से एक है- पीसीओएस, जो प्राय: उच्च-रक्तचाप और इनफर्टिलिटी से जुड़ा होता है। इसलिए, गर्भवती होने की इच्छुक उच्च-रक्तचाप से पीडि़त महिला के लिए, पीसीओएस के लिए जांच आवश्यक हो जाता है। उच्च-रक्तचाप के अन्य कारणों में मोटापा शामिल है, और इनफर्टिलिटी के लिए धूम्रपान भी एक निहित कारण है, चूंकि रक्तचाप पर अनुुपयुक्त नियंत्रण के चलते गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
जहां तक पुरूषों का संबंध है, उनकी इनफर्टिलिटी में भी उच्च-रक्तचाप के एक प्रमुख कारक है। ये इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि उनका संबंध कुछ एंटी-हाइपरसेंसिटिव्स एवं विकारयुक्त वीर्य मानकों से है, हालांकि कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि उच्च-रक्तचाप से वीर्य की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। यद्यपि, इस बात का पता लगाना कठिन होता है कि इसका संबंध किसी स्थिति के चलते है या फिर किसी औषधि के।
नोवा आईवीआई फर्टिलिटी में, हम मानते हैं कि एक मरीज की मानसिक स्थिति उसकी आईवीएफ यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए, काउंसलर्स की हमारी टीम सुनिश्चित करती है कि जोड़ों को किसी भी भावनात्मक चुनौती से निपटने के लिए आवश्यक सहायता मिले, जिसका इलाज करते समय उन्हें सामना करना पड़े। हमारे पास ‘द सर्कल ऑफ़ होप’ नाम से अपना स्वयं का सहायता समूह भी है। भाग लेने वाले रोगियों/ वक्ताओं ने अपनी यात्रा साझा की और उनकी चुनौतियों और परिणामों पर चर्चा की। यह पहल जोड़ों को अपने आईवीएफ यात्रा के माध्यम से नेविगेट करने में मदद करती है, भले ही यह कठिन या आसान हो।