Gurugram News, 11 April 2019 : आशियाना की चाह में निवेशक अपने जीवनभर की सारी जमा पूंजी लगा देते हैं, लेकिन बिल्डर द्वारा उन्हें समय पर आशियाना का कब्जा तक भी नहीं दिया जाता। निवेशक कार्यवाही कराने के लिए चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं, लेकिन उन्हें फिर भी आशियाना नहीं मिल पाता।
इस प्रकार की शिकायतें सरकार, पुलिस व जिला प्रशासन तथा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण से भी निवेशक करते रहे हैं। ऐसे ही एक निवेशक की याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने एटीएस डवलपर के बैंक खाते की जांच करने के लिए अंतरिम रिज्योलूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश एमएम कुमार एवं ट्रिब्यूनल के सदस्य प्रदीप आर सेठी ने अपने आदेश में कहा है कि आईआरपी खरीददारों यानि निवेशकों से ली गई धनराशि की जांच भी गंभीरता से करे। खरीददारों ने डवलपर पर आरोप लगाए थे कि प्रौजेक्ट को लेकर उन्हें काफी गुमराह किया गया, जबकि वे डवलपर द्वारा मांगी गई धनराशि को समय-समय पर देते रहे थे, लेकिन डवलपर ने निश्चित समय-सीमा में आशियाना उपलब्ध नहीं कराया। गौरतलब है कि निवेशक ने सैक्टर 109 में डवलपर के टूर्मलाइन हाऊसिंग परियोजना में 1.70 करोड़ रुपए का फ्लैट खरीदा था। उनके साथ ही अन्य निवेशकों ने भी मार्च 2014 में इस योजना में निवेश किया था। दोनों पक्षों के बीच यह समझौता हुआ था कि यदि खरीददार बुकिंग से 33 महीने के भीतर अपने फ्लैट को बेचने के लिए डवलपर को विकल्प देता है तो 30 दिनों के भीतर फ्लैट खरीद लिया जाएगा, अन्यथा देरी होने पर डवलपर निवेशक को ब्याज का भुगतान करेगा। बताया जाता है कि बिल्डर ने वर्ष 2016 के बाद निवेशकों का फ्लैट खरीदने और उनकी जमा धनराशि लौटाने से मना कर दिया। इसी मामले को लेकर पीडि़त एनसीएलटी में गुहार लगाने के लिए पहुंचे थे। एनसीएलटी ने पूरे मामले को गंभीरता से सुना और आईआरपी को आदेश दिए हैं कि वह यह जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि डवलपर खरीददारों के पैसा लौटाने के काबिल है कि नहीं बताया जाता है कि आईआरपी ने पीडि़तों को अपने दावे दर्ज कराने की छूट भी दे दी है।