Chandigarh News : साध्वियों से बलात्कार मामले में दोषी करार दिए गए डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम रहीम ने अपने खिलाफ सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद किये जाने की मांग मामले की आज सुनवाई हुई।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने यौन शोषण का शिकार दोनों साध्वियों की अपील जिसमें डेरा प्रमुख की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किये जाने की मांग पर भी सुनवाई की। इन दोनों अपील पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए अपील को एडमिट कर दिया है।
सुनवाई के दौरान डेरा प्रमुख के वकील की तरफ से जुर्माने के राशि पर रोक की अन्तरिम राहत देने की मांग की गईं। कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए जुर्माने व मुआवजा की राशि सीबीआई कोर्ट में जमा करवाने कहा है। जुर्माने की राशि किसी भी एफडीआर के तौर पर किसी भी नेशनल बैंक में जमा रहेगी। आपको बता दें कि अपील का निपटारा राम रहीम के पक्ष में आने पर जुर्माना जो करीब 30 लाख 20 हजार है, साध्वियों को नहीं दिया जायेगा।
हाईकोर्ट में राम रहीम ने लगाई ये पेटीशन
राम रहीम को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा सुनाई गई 20 साल की सजा को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है। इसके साथ ही दोनों पीड़ित साध्वियों की तरफ से भी सजा को बढ़ाकर उम्र कैद में तब्दील किए जाने की मांग की गई है। पेटिशन में कहा गया कि सीबीआई की कोर्ट ने सभी फैक्ट्स को कंसीडर नहीं किया, महज अफवाहों के आधार पर ही सजा सुना दी गई।
राम रहीम ने अपील में उठाए कई सवाल
अपील में राम रहीम की तरफ से कहा गया है कि बाबा का मेडिकल तक नहीं कराया गया। यही नहीं दो अलग-अलग डेरों में अलग-अलग समय पर हुए रेप के मामलों को एक साथ कर सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया।
सवाल उठाते हुए अपील में कहा गया है कि विक्टिम ने एक साल तक कुछ क्यों नहीं बोला, अपने घर वालों को भी कुछ क्यों नहीं बताया। अगर बताया तो फिर वे एक साल तक चुप क्यों रहे? ऐसे में आरोप साबित करने में खामियों के बावजूद जज ने पूर्वाग्रह के आधार पर ही सजा सुना दी।