Gurugram News, 19 Nov 2019 : फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ;एफएमआरआईद्ध में डॉक्टएरों की टीम ने इराक से इलाज के लिए भारत आए 28 वर्षीय मरीज़ की हाल में गुरुग्राम में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी की है। यह मरीज़ दुर्लभ किस्मए के न्यूयरोलॉजिकल विकार डिस्टोमनिया से प्रभावित था। इस प्रक्रिया के चलते मरीज़ अब चलने.फिरने में सक्षम है जबकि वह पिछले 3 वर्षों से बिस्तार तक सीमित था।यह एक किस्म का जेनेटिक मूवमेंट डिसॉर्डर है जिसमें मांसपेशियों में अनैच्छिक संकुचन के चलते वे बार.बार टेढ़े.मेढ़े तरीके से गतिमान रहती हैं। फोर्टिस गुरुग्राम में इलाज करने वाले डॉक्टनरों की टीम का नेत़ृत्वी डॉ संदीप वैश्य, कार्यकारी निदेशक, न्यूॉरोसर्जरी, एफएमआरआई गुरुग्राम ने किया।
इराक के श्री साद हरबी हैद अलकरावी 14 वर्षों से डिस्टोचनिया से ग्रस्ते थे और इलाज के लिए उन्हेंत डॉ वैश्यक के पास लाया गया। 2016 में उनकी हालत बिगड़ गई थी जब वे पूरी तरह बिस्तरर तक सिमट गए और बैठने या खड़े होने में भी असमर्थ हो गए। उनकी मूवमेंट लगातार असामान्य होती जा रही थी। क्लीकनिकल जांच के बाद डॉ वैश्यक ने उनकी इस स्थिति के उपचार के लिए बाइलेटरल ग्लोथबस पेलिडस इंटरनस ;जीपीआईद्ध डीप ब्रेन स्टिमुलेशन ;डीबीएसद्ध का सुझाव दिया।
इस बारे में डॉ संदीप वैश्यब ने कहाए श्श्मरीज़ को डिस्टोपनिया की गंभीर शिकायत के साथ अस्पबताल लाया गया था। मरीज़ की स्थिति का गहन मूल्यां कन और विचार.विमर्श के बादए हमने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन प्रक्रिया के जरिए एक डिवाइस इंप्लां ट किया। इस सर्जरी में 8 से 10 घंटे का समय लगा। इंप्लािटेशन के बादए यह डिवाइस मरीज़ के मस्तिष्क के लक्षित क्षेत्रों में सावधानीपूर्वक नियंत्रित इलैक्ट्रिकल स्टिमुलेशन पहुंचाएगी। यह बेहद दुर्लभ किस्मस की प्रक्रिया है जिसे देश के कुछ गिने.चुने केंद्रों में ही अंजाम दिया जाता है। मरीज़ में सर्जरी के कुछ हफ्तों के भीतर ही स्वा्स्य् द लाभ के लक्षण दिखाई देने लगे हैं।
डिस्टोीनिया शरीर के किसी एक भाग को या फिर साथ.साथ लगे दो और अधिक अंगों अथवा पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। मांसपेशियों में हल्काा या गंभीर संकुचन हो सकता है। इस रोग का सबसे आम प्रकार सर्वाइकल डिस्टोतनिया है। रोग की गंभीरता के चलते बहुत से मरीज़ों के लिए चलने.फिरने या खाने.पीने जैसी नियमित गतिविधियां भी अत्ययधिक चुनौतीपूर्ण बन जाती हैं। डीप ब्रेन स्टिमुलेशनएक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्का के भीतर इलैक्ट्रोपड्स रखे जाते हैं। इस जटिल सर्जरी में गलती की संभावना 0.5 मिमी से भी कम होती है। इन्हेंभ छाती में रखे इंप्लां ट से जोड़ा जाता है। भारत में 2 लाख से ज्योदा मरीज़ हैं जो डिस्टो निया से प्रभावित हैंए लेकिन इसके उपचार के लिए इस साल 25 से भी कम सर्जरी की गई हैं। डीबीएस उन मरीज़ों पर भी किया जाता है जो पार्किन्सकन रोग से ग्रस्तत हैं।
श्री साद हरबी हैद अलकरावी ने कहा मुझे बेहद खुशी है कि मेरी स्थिति में इस हद तक सुधार हुआ है। अब मैं दूसरे लोगों की तरह सामान्य ढंग से चल.फिर सकता हूं और अन्य सामान्य गतिवधियों को भी अंजाम दे सकता हूं। इस इलाज के बगैरऐसा संभव नहीं था। मैं फोर्टिस गुरुग्राम की पूरी टीम का आभारी हूं और खासतौर से डॉ संदीप वैश्ये के प्रति आभार जताता हूं जिनकी मदद से मैं दोबारा चल.फिर सकता हूं।
डॉ ऋतु गर्गए ज़ोनल डायरेक्टारए फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीोट्यूट ; एफएमआरआईद्ध ने कहाए श्श्हमारा कोशिश अपने मरीज़ों को सर्वश्रेष्ठर क्ली्निकल देखभाल के साथ.साथ प्रत्येबक मरीज़ को स्वाफस्य्धि लाभ का 100ःअवसर मुहैया कराने की होती है। हमारे क्लीनिशियन और सपोर्ट स्टासफ सर्वोत्तयम संभव नतीजों के लिए ग्लोअबल क्ली निकल प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ अत्याटधुनिक टैक्नोकलॉजी का भरपूर इस्ते माल करते हैं। डिस्टोलनिया के बारे में लोगों को जागरूक बनाना बेहद जरूरी है ताकि मरीज़ इसके शुरूआती लक्षणों को पहचानकर तत्कालल चिकित्साकीय सहायता ले सकें।