Chandigarh News : देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश के विख्यात संस्थानन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सांईंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईसर), एस.ए.एस. नगर के 7वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक शोध का क्षेत्र पंजाब की विरासत से जुड़ा हुआ है, जिससे आईसर जैसे संस्थानन को प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी से पहले पंजाब वैज्ञानिक ज्ञान के जन्म और प्रशिक्षण के शुरुआती केन्द्रों में से एक रहा है। इससे पहले उन्होंने संस्थान के प्रांगण में पौधा लगाया और संस्थान के 152 विद्यार्थियों को बी.एस., बी.एस -एम.एस. और पीएच.डी. की डिग्रीयाँ बाँटीं।
समारोह को संबोधित करते हुए राम नाथ कोविंद ने कहा कि पंजाब की यह विरासत उदाहरण पेश करती है कि कैसे एक तरफ़ वैज्ञानिक खोजोंं और तकनीशनों के सुमेल और दूसरी तर$फ बड़ी विकास प्रणाली ने देश के विकास में अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि भाखड़ा -नंगल प्रोजैक्ट जैसे बड़े प्रोजेक्टों में ज़मीनी स्तर पर तकनीशनों द्वारा निभाई भूमिका को कभी भी आँखों से अदृश नहीं किया जा सकता। इसी तरह कृषि विज्ञानियों और यूनिवर्सिटियों ने अनाज की पैदावार बढ़ाने और हरित क्रांति के लिए आधार मुहैया करवाया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज मोहाली आई.टी., बायोटैक्नॉलोजी, बायोइन्फरमैटिक्स और दूसरे क्षेत्रों का गढ़ बन गया है।
राम नाथ कोविंद ने कहा कि आईसर उच्च शिक्षा और शोध संबंधी देश के सबसे अहम संस्थानों में शुमार है। उत्तर भारत में यह संस्थान बहुत थोड़े समय में विज्ञान को समर्पित अध्यापकों और विद्यार्थियों की पहली पसंद बन गया है। इसके अलावा भारत और भारतीय समाज की ज़रूरतों को मुख्य रखते हुए वैज्ञानिक खोज को उत्साहित करने और इस संबंधी सहूलतें मुहैया करवाने के अपने उद्देश्य की तरफ भी यह संस्थान लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने डिग्रीयाँ हासिल करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि वे समाज, मेहनतकश करदाताओं, सरकारी एजेंसियोँ और दूसरे साझेदारों, जिन्होंने आईसर और इसके विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सहयोग दिया है, को कभी भी न भूलें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरणा दी कि वे समाज और देश के प्रति कुछ न कुछ करने की भावना ज़रूर रखें, खासकर उनके लिए जिनके पास साधनों की कमी है। श्री कोविन्द ने कहा कि पंजाब ऐसे टैकनोक्रैट्स का लम्बा इतिहास समाय बैठा है जोकि कामयाब कारोबारी बने। उन्होंने विद्यार्थियों को न्योता दिया कि वे इसी मार्ग पर चलते हुा अच्छे कारोबारी बनने को प्रथमिकता देकर दूसरों के लिए नौकरियाँ पैदा करने के साथ-साथ सरमाया पैदा करने वाले भी बनें, जिस तरह बहुत सी महान साईंसदानों और तकनीशनों ने किया है। उन्होंने इस मौके पर ख़ुशी अभिव्यक्त कि की अकादमिक परफॉर्मेंस के दोनों स्वर्ण पदक छात्राओँ के ही हिस्से आए हैं और अकादमिक एक्सीलेंस के लिए दिए गए चार अवार्डों में से भी तीन लड़कियों ने जीते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भी देश की बेटियाँ हर क्षेत्र में लडक़ों से आगे रही हैं और यह देश को सुनहरे भविष्य की तरफ लेजाते कदमों में से एक अहम कदम है।
इससे पहले आईसर के बोर्ड ऑफ गवर्नरज़ की चेअरपर्सन डा. मधूचन्दा कर ने भारत के राष्ट्रपति और अन्य शख़्िसयतों का दीक्षांत समारोह में पहुँचने पर संस्थान की तरफ से स्वागत किया और संस्थान के डायरैक्टर प्रो. देबी प्रसाद सरकार ने संस्थान की प्राप्तियों संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डीन अकादमिक आर.एस.जौहल ने पहुँची शख्सियतों का धन्यवाद किया। इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की पत्नी श्रीमती सविता कोविन्द, पंजाब के राज्यपाल वी.पी.सिंह बदनौर, हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, कैबिनेट मंत्री पंजाब स. बलबीर सिंह सिद्धू, मुख्य सचिव पंजाब सरकार एन.एस.कलसी, पंजाब यूनिवर्सिटी के उपकुलपति अरुण कुमार ग्रोवर, आईसर के बोर्ड ऑफ गवर्नरज़, सैनेट के मैंबर, सहायक रजिस्ट्रार बिपुल कुमार चौधरी सहित फैेकल्टी मैंबर और विद्यार्थियों के माता पिता भी उपस्थित थे।
हरियाणा के मंत्री को मंच पर नहीं मिला स्थान
आईसर के दीक्षांत समारोह के दौरान पंजाब के हरियाणा के अधिकारी तथा मंत्री राष्ट्रपति की अगुवाई करने के लिए पहुंचे हुए थे। कार्यक्रम के दौरान हरियाणा के संसदीय कार्यमंत्री रामबिलास शर्मा भी मौजूद थे। दीक्षांत समारोह शुरू होते ही वह भी अन्य प्रतिनिधियों की तरह मंच पर पहुंचे लेकिन मंच पर उनके लिए कोई कुर्सी आरक्षित नहीं थी। जिसके चलते राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल अधिकारी ने उन्हें नीचे बैठने का आग्रह किया। इसके बाद रामबिलास शर्मा मंच से उतरकर नीचे वीआईपी कतार में बैठ गए।