Chandigarh News, 04 Jan 2019 : अक्सर जमीन की खुदाई के दौरान सैकड़ों हजारों साल पुराने अवशेष मिलने के बाद वर्तमान पीढ़ी को उस समय के लोगों के रहन-सहन और उस समय के दौरान इस्तेमाल होने वाली तकनीक के बारे में पता चलता है। लेकिन अगर सौ साल बाद आने वाली पीढिय़ों को आज के युग में इस्तेमाल होने वाली तकनीक से जमीन के खुदाई के दौरान पता चले तो देखने या सुनने में बेहद अटपटा लगता है।
सौ साल बाद की पीढ़ी को वर्तमान टेक्नॉलज से अवगत करवाने के उद्देश्य से जालंधर स्थित एलपीयू में चल रही 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में पहुंचे नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो थॉमस सुडोफ, प्रो.अवराम हर्षको तथा प्रो डंकन हालडेन की मौजूदगी में एलपीयू प्रबंधकों द्वारा वर्तमान दिनचर्या का हिस्सा बनी वस्तुओं को टाइम कैप्सूल के माध्यम से जमीन में दफन कर दिया गया।
एलपीयू के कुलपति अशोक मित्तल ने बताया कि यहां एक टाइम कैप्सूल की संरचना करके उसमें वर्तमान भारतीय तकनौलजी से संबंधित 100 वस्तुओं को डाला गया है। जिसमें मुख्य रूप से लैपटॉप, स्मार्ट फोन, मोबाइल फोन, एमजोन एलेक्सा, पानी निकालने वाली मोटर, टेप रिकार्डर, कंप्यूटर, प्रिंटर के अलावा सोलर पैनल, हार्ड डिस्क, मूवी, वर्तमान वैज्ञानिक पुस्तके व कैमरा आदि को जमीन के भीतर संरक्षित करने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने बताया कि टाइम कैप्सूल में यह सारा सामान डालकर जमीन में दबा दिया गया है। इसे करीब सौ साल के लिए प्रीजर्व किया गया है। चार पीढिय़ों के बाद आने वाले लोग अगर कभी खुदाई करेंंगे तो उन्हें जमीन के भीतर से ऐसी वस्तुएं मिलने के बाद पता चलेगा कि सौ साल पहले किस तरह की वस्तुओं का उपयोग होता था और तकनौलजी किस तरह से विकसित थी। मित्तल ने कहा कि आज जमीन में रखी गई वर्तमान टेक्नॉलजी वर्ष 2119 में आने वाली पीढिय़ों के लिए ज्ञानवर्धक एवं शोधपर्क विषय से कम नहीं होगी।