पुआल जलाने के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए ने भारतीय कृषि शोध संस्थान के साथ साझेदारी की

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Karnal News, 26 Nov 2018 : सीएनएच इंडस्ट्रियल के मशहूर ब्राण्ड न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर ने भारतीय कृषि शोध परिषद और भारतीय कृषि शोध संस्थान के सहयोग से तीन साल के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसका मकसद किसानों को फसल अवशेष के पर्यावरण अनुकूल उपयोग में मदद पहुंचाना है।

भारत में सालाना लगभग 620 मिलियन टन फसल अवशेष पैदा होता है जिनमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। इन फसल अवशेषों के निपटान के लिए उन्हें खेत में जला देने से खेत की पैदावार के साथ-साथ पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे स्मॉग बनता है जिससे खास कर उत्तरी भारत में सांस की बीमारियां पैदा होती हैं। हाल के कुछ वर्षों में खेतों में फसल अवशेष जलाने का चलन बढ़ गया है क्योंकि इसके सही और सुरक्षित निपटान के किफायती और आसानी से अपनाई जाने वाले साधन उपलब्ध नहीं हैं और एक फसल की कटाई और दूसरी की बुवाई के बीच का समय बहुत कम रहता है।

इस प्रदूषण की रोकथाम के लिए तीन साल का यह सीएसआर प्रोजेक्ट एक वहनीय और आर्थिक रूप से व्यावहारिक फसल अवशेष प्रबंधन रणनीति पर शोध एवं विकास तथा उसे एक स्थायी व्यवसाय मॉडल के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है। आईसीएआर-आईएआरआई के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख डॉ. इंद्र मणि इस परियोजना का नेत्रत्व करेंगे। न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर पूरे प्रोजेक्ट के लिए वित्त प्रदान करने के साथ शोध के उद्देश्य से अपने पुआल प्रबंधन उपकरण भी देगी। साथ ही, तकनीकी जानकारी प्रदान करेगी जिससे समग्र पुआल प्रबंधन साधन का विकास किया जाएगा।

भारत एवं सार्क देशों के लिए सीएनएच इंडस्ट्रियल के कंट्री मैनेजर रौनक वर्मा ने कहा, ”भारत के पर्यावरण और कृषि के भविष्य को बचाने के साझा लक्ष्य से आईसीएआर-आईएआरआई के साथ मिल कर काम करना हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। न्यूहॉलैंड 2006 से ही पूरी दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा का साधन देती रही है और कम्पनी पर्यावरण प्रदूषण रोकने के साधन देने में विशेषज्ञता रखती है। इस सहमति करार पर हस्ताक्षर के साथ पुआल प्रबंधन के कारगर और स्थायी साधन विकसित करने की दिशा में हमने एक बड़ा कदम रखा है।

भारत में न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर के सेल्स एवं मार्केटिंग डायरेक्टर बिमल कुमार ने बताया, ”भारत में वायु प्रदूषण के कई कारणों में एक खेतों में पराली जलाना है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब होती है। हालांकि न्यूहॉलैंड के पास किसानों के लिए ऐसे साधन हैं जिनकी मदद से वे खेतों में मौजूद पराली को आमदनी का जरिया बना सकते हैं। कम्पनी की ट्रैक्टर, चॉपर के साथ कम्बाइन हार्वेस्टर, रेक, बेलर, हैपी सीडर, श्रेडो मल्चर और एमबी प्लॉ जैसी मशीनें किसानों को प्रोत्साहित करेंगी कि पराली को जलाने के बदले उनका जिम्मेदारी के साथ सदुपयोग करें।

न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर अपने आधुनिक साधनों के संग पराली निपटान के क्षेत्र में मार्केट लीडर है। धान के पुआल से बिजली पैदा करने के लिए आवश्यक बायोमास एकत्र करने में भी यह अपने उद्योग की अग्रणी कम्पनी है। अन्य फसल अवशेषों और चीनी मिलों में उत्पन्न गन्ने के अवशेष से सह-ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी कम्पनी का बड़ा योगदान है। गौरतलब है कि धान के केवल एक सीजन में प्रत्येक न्यूहॉलैंड बीसी 5060 स्क्वायर बेलर की मदद से आप इतनी बिजली पैदा कर सकते हैं जो किसी गांव के लगभग 950 घरों के लिए पर्याप्त होगी।

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