Panipat News, 13 May 2019 : भारत की प्रमुख इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आइवीडी) कंपनी, और उभरते बाजारों पर केंद्रित अग्रणी वैश्विक कंपनियों में से एक, ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड ने आज घोषणा की है कि वह पहली बार भारतीय बाजार में अपनी अंतर्राष्ट्रीय हिमैटोलॉजी रेंज लेकर आ रही है। 3-पार्ट डिफरेंशियल एनालाइजर (3पीडी) से लेकर 5-पार्ट डिफरेंशियल एनालाइजर (5पीडी), पूरी तरह से ऑटोमेटेड हिमैटोलॉजी एनालाइजर, रीएजेंट्स और कंट्रोल्स यूरोपीय आरएंडडी द्वारा समर्थित हैं। इन तीनों को आज लॉन्च किया गया। अगली पीढ़ी के इन सिस्टम्स में कई आधुनिक फीचर्स हैं, जिससे संस्थानों, क्लिनिशयंस और लैब टेक्नोलॉजिस्ट्स को सही डायग्नोसिस करने में मदद मिलेगी। एच 360, एच 560 और इलीट 580 हिमैटोलॉजी एनालाइजर का उत्पादन इरबा लैचीमा ने किया है, जो ट्रांसएशिया की 100 फीसदी स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में इनका व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। मरीजों में बीमारी का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए रक्त कोशिकाओं को गिनने और उनके प्रकार का पता लगाने के लिए हिमैटोलॉजी एनालाइजर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। तीन भागों में अलग-अलग श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की गिनती से बेसिक एनालाइजर संपूर्ण रक्त कोशिकाओं (सीबीसी) की गणना करते हैं। आधुनिक तकनीक से बनाए गए एनालाइजर कोशिका के आकृति विज्ञान को मापते है और छोटी कोशिकाओं की आबादी का पता लगाकर रक्त से जुड़े दुर्लभ और आसानी से पकड़ में न आने वाली बीमारियों का पता लगा सकते हैं।
ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, सुरेश वजीरानी ने इस रेंज को औपचारिक रूप से लॉन्च करते हुए कहा, ”भारत में लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता के डायग्नोस्टिक्स को किफायती बनाने की हमारी तलाश में आज हमने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत में हमारे द्वारा पेश की जाने वाली अंतर्राष्ट्रीय हिमैटोलॉजी रेंज दुनिया में सर्वश्रेष्ठ की तुलना में 25 प्रतिशत कम कीमत पर उपलब्ध है। इसका मतलब हुआ कि भारतीय बाजार में ये उपकरण जितना अधिक होंगे, बड़ी आबादी के लिए उतना ही इस तरह के बुनियादी परीक्षण कराना अधिक किफायती एवं सुलभ होगा। यह वाकई में भारत में लंबे समय में बेहतर निरोधात्मक स्वास्थ्यरक्षा को बढ़ावा देगा। ट्रांसएशिया में यह हम सभी के लिए गौरव का पल है और यह संयोग की बात है कि यह मौका कंपनी की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आया है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2018 में किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत में थैलेसीमिया मेजर से पीडि़त बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है;150ए000द्ध। यहां बी-थैलेसीमिया ट्रेट के लगभग 42 मिलियन कैरियर्स हैं। हालांकि, यह मौजूदगी औसतन भारत में 3-4 प्रतिशत है, लेकिन कुछ निश्चित समुदायों जैसे सिंधियों, पंजाबियों, गुजरातियों, बंगालियों, माहरों, कोली, सारस्वत, लोहना और गौर में उच्च तीव्रता भी देखने को मिली है। हर साल अनुमानतरू 10 से 15 हजार बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ जन्म लेते हैं।