Gurugram News : ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के दृष्टिगत स्टारेक्स विश्वविद्यालय गुरूग्राम के ‘अमर-कृष्ण हॉल’ में दिनांक 21 जून 2018 को प्रातः 9ः00 बजे योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों, प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को विधिवत् रूप से योग क्रियाएँ कराने हेतु प्रशिक्षक के रूप में पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार से सम्बद्ध पाटौदी निवासी डॉ. ईश्वर आर्य व श्री विनोद आर्य उपस्थित हुए।
भारत सरकार के आयुष मन्त्रालय के निर्देशानुसार प्रशिक्षक दल ने सर्वप्रथम निर्देशित श्लोक के रूप में प्रार्थना करायी। इसके उपरान्त उन्होंने हॉल में उपस्थिति लोगों को ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, घुटना संचालन जैसे सूक्ष्म व्यायाम कराए। इसके बाद उन्होंने विभिन्न आसन जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, उष्ट्रासन, चक्रासन, त्रिकोणासन, वज्रासन, हस्तपादासन, अष्टासन, भुजंगासन, हलासन, गरूड़ासन कराए। इसके बाद आयुष मन्त्रालय द्वारा जारी प्रोटोकोल के अनुसार विभिन्न प्रकार के प्राणायाम जैसे कपालभाती, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम इत्यादि कराए।
योग कार्यशला के अन्त मे मुख्य अतिथि के रूप में पधारे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक दिवाकर ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि हमारे लिए योग कार्यशाला में उपस्थित होना काफी नहीं है, बल्कि हमें योग को एक जीवनशैली के रूप में अपनाना चाहिए। योग के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्हेांने कहा कि नित्य प्रतिदिन योगाभ्यास से हमें अनेक बीमारियों से मुक्ति मिलती है क्योकि इससे हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। साथ ही इससे व्यक्ति के मन में सुविचारों का संचार होता है, जिससे उसके मन को शान्ति मिलती है और उसकी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी पवित्र भूमि पर जन्में योग को वैश्विक पहचान दिलाने का महान कार्य किया है। इसीलिए आज विश्व के प्रत्येक कोने में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है।
इस कार्यशाला के अन्त में वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. डी.आर. अग्रवाल ने श्री ईश्वर आर्य एवं श्री विनोद आर्य को विश्वविद्यालय में पधारने और इस कार्यशाला में योग क्रियाएँ कराने हेतु धन्यवाद दिया। इसी क्रम में डॉ. डी.आर. अग्रवाल ने कार्यशाला में भाग लेने और इसको सफल बनाने वाले सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया। इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए प्रो. पी.सी. पोपली, डॉ. कुलदीप सिंह व श्री नवीन कुमार का विशेष योगदान रहा।