Gurdaspur News : चुनाव परिणाम हेतु मतगणना के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। तीसरे राऊंड में कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ अन्य उम्मीदवारों से 15000 वोटों के अंतर से आगे चल रहे है। महज कुछ घंटों बाद उपचुनाव के परिणाम की तस्वीर जो कि पिछले कई दिनों से धुंधली बनी हुई थी, आज दूध का दूध व पानी का पानी होकर जनता-जनार्दन के सामने आ जाएगी।
सूबे में सत्तारूढ़ कांग्रेस या विपक्ष में बैठी ‘आप’ या केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा, जो मोदी लहर के सहारे चुनाव लड़ रही है, किसके प्रत्याशी के सिर पर विजेता का ताज सजेगा इसका फैसला रविवार को होने जा रहा है, चूंकि मतगणना व इसके परिणामों में महज कुछ ही घंटों का समय बाकी है, ऐसे में चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों, उनके समर्थकों व वर्करों के दिलों की धड़कनें तेज हो गई हैं। गुरदासपुर लोकसभा हलका के हुए उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले 11 उम्मीदवार हैं परंतु मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों में माना जा रहा है। आज 15 अक्तूबर, दोपहर 12 बजे तक यह साफ हो जाएगा कि गुरदासपुर लोकसभा हलके का सांसद कौन होगा।
भाजपा सांसद विनोद खन्ना के देहान्त के बाद खाली हुई इस लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव मे भाजपा के स्वर्ण सलारिया, कांग्रेस के सुनील जाखड़, आम आदमी पार्टी के सुरेश खजूरिया सहित 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे परंतु राजनीतिक पंडितों के अनुसार मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के बीच रहा। यह चुनाव मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस लोकसभा उपचुनाव में बेशक चुनाव तो उम्मीदवार लड़ रहे थे, परंतु असली मुकाबला कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, विजय सांपला तथा सुखबीर बादल की प्रतिष्ठा का बना हुआ है। यदि कांग्रेस चुनाव जीतती है तो भाजपा पंजाब प्रधान विजय सांपला की प्रधानगी को खतरा बनेगा जबकि सुखबीर बादल से छीना तो कुछ नहीं जाएगा, परंतु उसकी राजनीतिक साख कम जरूर होगी।
इसी तरह यदि भाजपा के स्वर्ण सलारिया चुनाव जीत जाते हैं तो इससे सुनील जाखड़, जो पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान हैं, की प्रधानगी को खतरा बन सकता है तथा कैप्टन की साख कम हो जाएगी, क्योंकि तीनों ही नेताओं ने इस सीट पर पूरा जोर लगाया तथा कई दिन ये नेता इसी हलके में रहे। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने तो चुनाव प्रचार दौरान एक-दो बार रामलीला में भी जाकर वोट मांगे थे। नवजोत सिंह सिद्धू तथा मनप्रीत सिंह बादल भी इस चुनाव में काफी सक्रिय रहे।