Chandigarh News, 23 May 2021 : हरियाणा में फैली कोरोना महामारी को लेकर सांसद डा सुशील गुप्ता ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार को कटघरे में खडा किया है।
आम आदमी पार्टी के हरियाणा सहप्रभारी डा गुप्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से बीमार लोगों तक सरकार की कोरोना किट नहीं पहुंच पा रही है। जिसमें घोटाले की बू आ रही है।
गूगल मीटिंग में अपने प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक के उपरांत कहा कि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने घोषणा की थी, होम आइसोलेशन में जो मरीज रहेंगे उनको सरकार की तरफ से कोविड किट वितरित की जायेगी। इस एक कोविड किट में किट में एक ऑक्सीमीटर, डिजिटल थर्मामीटर, स्टीमर, थ्री लेयर मास्क, आयुष दवाएं, एलोपैथिक दवाएं और एक पुस्तिका होगी, जिससे मरीज अपनी दवाइयां लेकर ठीक होंगे। लेकिन देखने में यहं मिल रहा है कि किट के नाम पर काला बाजारी हो रही है। यह भी देखने को मिल रहा है कि प्रदेश के कुछ जगहों पर तो चुनिंदा लोगों को किट दी गई। जबकि प्रदेश के अधिकतर गांवों की ज्यादातर जगहों पर मरीजों को किट नहीं मिल रही है और जहां किट पहुंचाई जाती है वह अधूरी होती है और इसमें केवल पैरासिटामोल और आयुर्वेदिक तेल होता है, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर या स्टीमर नहीं। लोगों को अपेक्षित सहायता क्यों नहीं मिल रही है? सामान गायब होने का जिम्मेदार कौन? दूसरा जिन लोगों को किट मिली वह भी तब जब या तो वो ठीक हो गए या 15 से 20 दिनों लेट। ऐसी स्थिति में हरियाणा का इस वैश्विक बिमारी में क्या हाल होगा। यह किसी से छूपा नहीं। बल्कि सरकार को अपनी वितरण प्रणाली मेें सुधार लाना चाहिए और देरी के कारण की जांच करनी चाहिए।
डा गुप्ता को पार्टी के पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि स्वास्थ मंत्री अनिल विज ने हरियाणा के हर गांव के सरपंच को 50,000 रूपये देने की घोषणा की थी। इस पैसे का इस्तेमाल सैनिटाइजेशन और आइसोलेशन सुविधाएं बनाने में किया जाना था। लेकिन उकत कार्य किसी भी गांव में होता दिखाई नहीं दिया। बेहतर होगा स्वास्थ मंत्री जमीनी स्तर पर देखें और कार्य ना करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करें। जिससे कोविड के इलाज और रोकथाम के नाम पर जारी किए गए फंड का वास्तव में जमीन पर इस्तेमाल किया जा सके तथा लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिले।
उन्होंने कहा कहीं सरकारी योजना एक बार फिर से घोटालों में तब्दील ना हो जाएग। वह मंत्री जी से अनुरोध करते है कि वह यह सुनिश्चित करें कि उनकी योजनाएँ वास्तव में उन लोगों तक पहुँचें।