ग्रामीण भारत महोत्सव: हार्वेस्ट के दूसरे दिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समा

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· कार्यक्रम में शंख वादन, कश्मीरी लोक और सूफी संगीत, पुंग चोलोम नृत्य, और सूफियाना कव्वाली की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गईं।

· इस महोत्सव के जरिए सांस्कृतिक और कलात्मक प्रस्तुतियों से ग्रामीण भारत की मेहनत और रचनात्मकता का उत्सव मनाया जा रहा है।

नई दिल्ली, जनवरी 2025: भारत मंडपम में चल रहे ग्रामीण भारत महोत्सव के दूसरे दिन हार्वेस्ट: रिद्म्स ऑफ द अर्थ (फसल कटाई: धरती की धड़कन) ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। यह महोत्सव नाबार्ड द्वारा आयोजित किया गया है और सहर के संजीव भार्गव की संकल्पना का परिणाम है। महोत्सव की थीम ‘ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाना’ है, जो भारत की विविध लोककथाओं, हस्तकला और संगीत परंपराओं का उत्सव है।

दूसरे दिन का आगाज शंख वादन की पवित्र ध्वनि से हुआ, जिसे सुबह-ए-बनारस ग्रुप ने प्रस्तुत किया। इसके बाद नूर मोहम्मद शाह ने कश्मीरी लोक और सूफी संगीत की मनमोहक धुनों से कश्मीर की जादुई सुंदरता का एहसास कराया। मणिपुर की प्रीति पटेल और उनके समूह ने अपने ऊर्जावान पुंग चोलोम प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिन का समापन दिल्ली के उस्ताद चाँद अफजल और उनके समूह द्वारा प्रस्तुत सूफियाना कव्वाली से हुआ, जिसने पूरे सभागार को आध्यात्मिक लय में झूमने पर मजबूर कर दिया।

सहर के संस्थापक और निदेशक संजीव भार्गव ने कहा, “हार्वेस्ट में ग्रामीण भारत की आत्मा जीवंत होती है। हर प्रस्तुति एक ऐसी कहानी सुनाती है, जो समय की सीमाओं से परे है। यह परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम है। दूसरे दिन की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को ग्रामीण समुदायों की बेहतरीन कला और मेहनत से परिचित कराया। यह महोत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को संजोने और उनका सम्मान करने का एक अद्भुत अवसर है।”

ग्रामीण भारत महोत्सव के अगले तीन दिन और भी अधिक रंगीन और समृद्ध होंगे। हार्वेस्ट के माध्यम से यह महोत्सव अपनी प्रस्तुतियों और संवादात्मक अनुभवों से दर्शकों को भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता से जोड़ता रहेगा।

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