भैया दूज के दिन भाई को इस शुभ मुहूर्त में लगाएं तिलक
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New Delhi News : भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक आज भाई दूज का पर्व है। दीपावली के अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा होती है। पर्व के दिन बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और भगवान से भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं।
इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि एक बार यमराज के पास उनकी बहन यमुना का संदेश आया तो यमराज सब कुछ छोड़कर उनसे मिलने पहुंच गए और इसी तरह से यम द्वितीया का त्योहार शुरू हुआ।
टीका का शुभ मुहूर्त :
अगर भाई को टीका शुभ मुहूर्त में करेंगे तो इस दिन की पूजा जरुर सफल होगी। इस दिन शुभ मुहूर्त है 1 बजकर 31 मिनट से शुरु होकर 3 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
दोपहर 1:19 से 3:36 तक।
द्वितीय तिथि प्रारम्भ : 21 अक्टूबर 2017 को 01:37 बजे।
ऐसे करें पूजा :
भैया दूज के दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं।
रोली, चांडाल, चावल, घी का दिया, मिष्ठान से थाल सजाएं।
कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें।
भाई के माथे पर तिलक लगाएं।
भाई, बहन के लिए कुछ उपहार दें।
भाई की लंबी उम्र की कामना करें।
इसके बाद बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधे।
भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन लगाएं।
तिलक करते समय पढ़ें ये मंत्र
गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को. सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।
क्या है मान्यता
इस दिन जो यम देव की उपासना करता है, उसे असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके जीवन की मंगल कामना करती हैं। माना जाता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में अगर भाई और बहन साथ में यमुना नदी में स्नान करें तो भाई और बहन का रिश्ता हमेशा ना रहता है और भाई की उम्र बढ़ती है। भाई दूज को भाऊ बीज और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
क्या है पौराणिक कारण
यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए मिलने चले गए। यमुना अपने भाई को देख खुश हो गईं. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया। बहन का प्यार देखकर यमराज इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए। यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आए और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। कहा जाता है इसी के बाद हर साल भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है।