करीब 45 प्रतिशत दिल के दौरे साइलेंट होते हैं : डॉ. सुमन भंडारी

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New Delhi News, 29 Sep 2018 : अध्ययन के मुताबिक, साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। मगर इस तरह से मरने वाले मरीज के लक्षण ठीक वैसे ही होते हैं, जैसे कि लक्षण शो करने वाले हार्ट अटैक में होते हैं। गौरतलब है कि साइलेंट हार्ट अटैक मर्दों की बलि ज्यादा लेता है, मगर औरतों के शिकार होने की आशंका भी कम नहीं होती है। एक शोध के मुताबिक, सभी किस्म के हार्ट अटैक में 45 प्रतिशत साइलेंट किस्म के होते हैं। वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर इसे लेकर जागरूकता फैलाना काफी जरूरी है। गौरतलब कि यकायक किये जाने वाले इलेक्ट्रोग्राम के जरिये ही हार्ट की मसल्स को होने वाले नुकसान का अनुमान लग जाता है।

इस बारे में बताते हुए, डॉ. सुमन भंडारी, डायरेक्टर एवं एचओडी, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने कहा, ‘साइलेंट हार्ट अटैक का नतीजा उतना ही बुरा होता है, जितना उस हार्ट अटैक का जिसके लक्षण आमतौर पर दिखायी दे जाते हैं। मगर ऐसे लक्षणों के बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं होता है, जिसका नुकसान यह होता है कि समय पर इससे संबंधित जांच नहीं हो पाती है और ऐसे में वक्त पर इलाज शुरू नहीं हो पाता है। ऐसा भी होता है कि दर्द की सही जगह का गलत अंदाजा लगाया जाता है। उदाहरण के तौर पर कुछ लोगों को सीने के बीचों-बीच दर्द का एहसास होता है, जो दिल के बायें तरफ होने वाले दर्द के एहसास के विपरीत है, जिसे हार्ट अटैक का एक बड़ा लक्षण माना जाता है। कई लोग साइलेंट हार्ट अटैक के दौरान और उसके बाद भी सामान्य महसूस करते हैं, जो तमाम लक्षणों को नजरअंदाज करने की आशंका को बढ़ा देता है। रिकरिंग साइलेंट अटैक दिल को गहरे तौर पर और भारी नुकसान पहुंचाता है। इलाज के अभाव में दोबारा और ज्यादा गंभीर हार्ट अटैक आने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। साइलेंट हार्ट अटैक के खतरों की मुख्य वजहों में स्मोकिंग, जरूरत से ज्यादा शारीरिक वजन, नियमित कसरत नहीं करना, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा और डायबिटीज शामिल हैं। ये सभी इस बात का संकेत हैं कि आपको अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

डॉ. भंडारी ने आगे कहा, ‘प्लेक के बिल्ड-अप के चलते कोरोनरी आर्टरीज में रक्त के प्रवाह में आनेवाली बाधा की वजह से ऐसी स्थिति निर्मित होती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि किसी भी तरह के मामूली लक्षणों की भी उपेक्षा न की जाये। इन खतरों के संकतों के बारे में जानना और समय रहते जांच करवाना ऐसे उपाय हैं, जिससे आगे होने वाली बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।

साइलेंट हार्ट अटैक की स्थिति तब बनती है, जब हृदय की धमनियों तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या फिर पूरी तरह तरह से बंद हो जाता है। आंकड़े बताते हैं कि हार्ट अटैक का शिकार होने वाले 25 प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं, जिनकी उम्र 40 साल से कम होती है। हार्ट अटैक के लक्षण जैसे कि थकान या फिर किसी तरह की शारीरिक असुविधा, अनिद्रा, उम्र से जुड़ी तकलीफ या दर्द को अक्सर गैस्ट्रिक इनफ्लक्स, अपच और सीने में होनेवाले दर्द से कंफ्यूज कर लिया जाता है।

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