Mumbai, 01 Sep 2020 : वाई कॉम्बिनेटर की शुरुआती दिनों की नीति की तर्ज पर बनाए गए, भारत के 9यूनिकॉर्न एसेलरेटर फंड (9यूनिकॉर्न्स) ने 100 करोड़ रुपये (14 मिलियन डॉलर) का अपना पहला फंड हासिल करने की घोषणा की है। इस फंड का निवेश 100 से अधिक शुरुआती चरण के स्टार्ट-अप्स में किया जाएगा, जिसका लक्ष्य लाभकारी स्टार्ट-अप्स की जल्दी पहचान करके उनमें पहले निवेश करना होगा।
9यूनिकॉर्न्स की स्थापना वेंचर कैटालिस्ट्स (वीकैट्य) के संस्थापकों – डॉ. अपूर्व रंजन शर्मा, अनुज गोलेचा, अनिल जैन और गौरव जैन ने की है। वे भारत में 75 से अधिक घरेलू स्टार्टअप्स के पोर्टफोलियो में से 30+ मल्टी-बैगर्स के एक अनूठे ट्रैक रिकॉर्ड को पहले ही उजागर कर चुके हैं, जिसमें भारतपे, बियरडो, पीसेफ और फाइंड जैसे स्टार्ट-अप शामिल हैं, जिनमें वीकैट्स एक शुरुआती स्तर का निवेशक था।
सॉफ्टबैंक समर्थित ओयो रूम्स में भी एक एंजेल निवेश रह चुके, डॉ. अपूर्व रंजन शर्मा ने एक बयान में कहा कि, “भारतीय उद्यमियों पर दांव लगाने का आज से ज़्यादा कोई बेहतर समय नहीं है। हम ऐसे स्टार्ट-अप्स में उछाल देख रहे हैं जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पैदा हुई भारतीय और वैश्विक समस्याओं को हल करने पर केन्द्रित रहते हैं। मुझे उम्मीद है कि भारत में यूनिकॉर्न की संख्या 4 गुना बढ़ जाएगी, जिनकी संख्या आज 36 है, वे आगे चलकर 140 हो जाएंगे।”
भारत में, पहले दौर का फंड हासिल करने के लिए अधिकांश स्टार्ट-अप संघर्ष करते हैं। वे पूंजी के लिए ज्यादातर दोस्तों और परिवार पर निर्भर रहते हैं। अगर संस्थापक सक्रिय रूप से मुंबई, बेंगलुरु और नई दिल्ली के निवेशक नेटवर्क में नहीं जुड़े हैं, तो यह बात और सच साबित होती है। 9यूनिकॉर्न्स का लक्ष्य इन स्टार्ट-अप के लिए वैसा ही “दोस्त और परिवार” जैसा निवेशक बनना है। हालांकि यहां अंतर यह है, कि स्टार्ट-अप को भारत के टिअर 1, 2, 3 और 4 शहरों में मौजूद भारतीय व्यापार समुदायों के इसके विशाल नेटवर्क से जुड़ने की सहूलियत मिलती है, जिससे स्टार्ट-अप पूरे भारत में अपना प्रसार करने में सक्षम होते हैं। वीकैट्स इकोसिस्टम में 4000 से ज़्यादा निवेशक, संस्थापकों और एक्ज़ीक्यूटिव्स के पहले से मौजूद नेटवर्क का फ़ायदा उठाने से, इन स्टार्ट-अप्स को जल्दी ग्राहक, वितरण भागीदार पाने और कई पोर्टफोलियो में तालमेल बिठाने की सहूलियत मिलती है।
9यूनिकॉर्न्स के पहले दौर में भारी संख्या में भारतीय व्यापारियों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने भारत में अपने वेंचर की शुरुआत शून्य से की थी और पिछले 2 दशकों में इसे तेज़ी से विकसित किया है। बियरडो का उदाहरण देते हुए, डॉ. शर्मा ने कहा कि “भारत में एक ब्रांड और बिज़नेस बनाने के लिए पैसे से कुछ ज़्यादा लगता है। आपको पहले की गई गलतियों से बचने और 100 गुना तेज़ी से विस्तार करने के लिए दूसरों के कामों और अनुभवों से सीखने की ज़रूरत है। अपनी कमर बांधकर 500 किलोमीटर दूर स्थित टिअर 2 शहर में अपना व्यापार स्थापित करना शुरू करने के लिए, लोकल बिज़नेस के नेटवर्क, डिस्ट्रिब्यूशन चैनल और कई अन्य चीजों तक पहुंच की ज़रूरत होती है।