एग्रो स्‍टार्टअप: करियर के नए द्वार : प्रीत संधु सिहाग

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New Delhi, 27 Oct 2020 : कोरोना महामारी के कारण कई सेक्‍टर मंदी का सामना कर रही है। लोगों की नौकरियां जा रही है, लेकिन कृषि क्षेत्र पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है। आमतौर पर कृषि को नुकसान के नजरिये से देखा जाता है, मगर अब यह तस्‍वीर बदल रही है। अगर नई सोच और आधुनिक तकनीक समावेश कर एग्रो स्‍टार्टअप के रूप में कृषि क्षेत्र में प्रवेश किया जाए तो पैसे के साथ-साथ दूसरों की समस्‍याएं भी हल कर सकते है। यदि आपकी कृषि और विभिन्‍न प्रोड्क्‍टस में दिलचस्‍पी है एवं ग्रामीण इलाकों में स्‍थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में करने की इच्‍छा, अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्‍टस की मांग और पूर्ति पर नजर, तर्कसंगत सोच और नेतृत्‍व की क्षमता हो तो आपका करियर चमक सकता है।

क्‍या है एग्रो स्‍टार्टअप:
स्टार्टअप एक नई कंपनी होती है, जिसको शुरू करने के बाद उसको डेवलप किया जाता है। आमतौर पर स्टार्टअप यानी नई कंपनी शुरू करने को कहा जाता है, जिसको कोई यूथ स्वंय या दो तीन लोगों के साथ मिलकर शुरू करता है। एग्रो स्‍टार्टअप मुख्‍य रूप से कृषि क्षेत्र या उससे जुड़े क्षेत्र में काम करते है। इसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक की मदद से तकनीकी, गैर तकनीकी और वित्‍तीय क्षेत्र में काम शुरू किया जाता है। एग्रो स्‍टार्टअप वैसे प्रोडक्ट्स या सर्विस को लांच करती है, जो कि मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है। बाजार से जुड़ना, कृषि उपज और उत्पादों की डिजिटल मौजूदगी ने इसे आगे बढ़ाया है।

तेजी से बढ़ रहा है कृषि स्‍टार्टअप:-
एक शोध के अनुसार दुनिया में हर नौवां एग्रीटेक स्टार्टअप भारत में शुरू हो रहा है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां नए बिजनेज मॉडल के साथ इसमें आ रही हैं। यह सेक्टर औसतन 25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं को रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए कृषि क्षेत्र के स्टार्ट-अप्‍स को प्रोत्साहित करने की नीति बनाई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के तहत ‘नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास’ कार्यक्रम के पहले चरण में 112 स्टार्टअप (Startup) को 1186 लाख रुपये की रकम दी जाएगी। आरकेवीवाई योजना कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने के लिए राज्‍यों को प्रोत्‍साहित करती है।

नई सोच से बदलते हालात:-
इनोवेशन के चलते यह क्षेत्र बदलाव के दौर में है। सरकार की ओर से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ध्यान दिये जाने से किसानों की कृषि उपज की मांग संगठित क्षेत्र में बढ़ी है। मेगा फूड पार्क को मंजूरी दिए जाने से कृषि क्षेत्र मजबूत हुआ है। जैसे-जैसे स्थानीय किसान एग्रीटेक स्टार्टअप के बेहतर समाधानों के साथ जुड़े हैं, वैसे-वैसे बिजनेस के तमाम प्रारूपों को बढ़ावा मिला है। इससे बाजार पर बेहतर पकड़ बनी है, तकनीक का तेजी से उपयोग बढ़ा है। एक अनुमान है कि 2020 तक एग्रीटेक सेक्टर इनोवेशन के केन्द्र में होगा। इससे देश में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

क्‍या करते है एग्रो स्‍टार्टअप:
कई स्टार्टअप ऐसे हैं, जो इमेजरी टेक्नीक के जरिये किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में बता रहे हैं। इससे किसानों को मिट्टी के अनुसार सही फर्टिलाइजर और बीजों के इस्तेमाल में मदद मिली है। मिट्टी और पानी को जांचने के लिए आईओटी तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाता है। कई स्टार्टअप किसानों को संक्रमण, जलवायु के बारे में बताने के साथ पानी की उपलब्धता, उसके छिड़काव के सिस्टम मुहैया कराने के काम से जुड़े हैं। किसानों की कर्ज की समस्याओं को सुलझाने के लिए कई वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाले संस्थान भी आगे आए हैं। कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण होना इसकी एक बड़ी वजह बताई जाती है। एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं, बेहतर वितरण प्रणाली दे रहे हैं और बिचौलिये कम कर उनकी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि कृषि में आज करियर की अच्छी संभावनाएं मौजूद हैं।

पढ़ाई के अवसर:-
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के करीब सौ संस्थानों के अलावा 650 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र और तमाम राज्य कृषि विश्वविद्यालय इन तकनीकों के विकास में लगे हुए हैं। कृषि व्यवसाय में अलग-अलग स्तर पर मौके हैं। यानी फाइनेंस, तकनीक व गैर-तकनीकी क्षेत्रों के इच्छुक युवाओं के लिए मौके बन सकते हैं। हालांकि कृषि के विशेष अध्ययन से इस क्षेत्र को करीब से जानने का मौका मिलता है और प्रवेश करना आसान होता है। इसमें मदद करने के लिए कई संस्थानों में एग्रीबिजनेस विषय पर पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स कराये जाते हैं। कोर्स के दौरान एग्रो इंडस्ट्री में इंटर्नशिप करने के मौके मिलते हैं और कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा भी। हुनर सीखकर खुद का एग्रो स्‍टार्टअप शुरू किया जा सकता है।

क्या हो क्षमताएं:-
-कृषि और विभिन्न तैयार फूड प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी

-ग्रामीण इलाकों में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में काम करने की इच्छा

-अंतरराष्ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्ट्स की मांग और पूर्ति पर नजर

-कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए बड़े किसानों को समझाने की काबिलियत

-तर्कसंगत सोच और नेतृत्व की क्षमता

-संवाद कौशल

-धैर्यवान व्यक्तित्व तथा टीमवर्क में आस्था

स्टार्टअप के क्या हैं नियम:
किसी कंपनी को स्टार्टअप कैटगरी में आने के लिए उसके प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म अथवा लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म के रूप में रजिस्टर्ड होना जरूरी है। इसके अलावा स्टार्टअप के लिए किसी कंपनी का गठन 5 साल से पुराना नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ रुपए तक होना चाहिए। तभी वह कंपनी स्टार्टअप की कैटगरी में शामिल सकती है।इसके दायरे में आने वाली सर्विस स्टार्टअप के दायरे में वहीं कंपनी आएगी जिसका प्रोडक्ट या सर्विस नई तरह की हो, लेकिन यदि किसी प्रोडक्ट में बदलाव किया गया है तो उसका फायदा कस्टमर को मिल रहा है कि नहीं यह देखना जरूरी होगा। इसके अलावा इंडियन पेटेंड और टेड्रमार्क ऑफिस से किसी प्रोडक्ट को पेटेंट मिला हो। वहीं, अगर सरकार किस प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक मदद दे रही हो, जिससे आम आदमी को लाभ होता हो।

स्टार्टअप को ये सुविधा देगी सरकार:
स्टार्टअप के लिए जारी एक्शन प्लान में सरकार ने कई अहम घोषणाएं की हैं, जिससे स्टार्टअप को बूस्ट मिलेगा और लाखों रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। स्टार्टअप के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन आधारित कंप्लायंस होगा। पेटेंट एप्लीकेशन फीस में 80 पर्सेंट की छूट देगी सरकार। 3 साल तक स्टार्टअप का कोई इंस्पेक्शन नहीं किया जाएगा। लाभ होने पर भी 3 साल तक स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। अपनी प्रॉपर्टी बेचकर स्टार्टअप में इन्वेस्ट करने वाले को कैपिटल गेन टैक्स की छूट मिलेगी। स्टार्टअप को सीड कैपिटल देने के साथ कई अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।

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