New Delhi News, 24 July 2019 : गुरु पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में गुरुदेव के प्रति प्रेम और कृतज्ञता की पवित्र एवं श्रद्धापूर्ण भावना व्यक्त करने के लिए श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया l यह दिन एक आध्यात्मिक नव वर्ष का शुभारंभ होता हैं l इस दिन प्रत्येक शिष्य नए उत्साह व दृढ़ता से भक्ति मार्ग पर चलने का संकल्प लेता हैं l कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोउच्चारण से हुआ l सुमधुर व भावपूर्ण भजनो की श्रृंखला ने उपस्थित श्रोताओं के हृदयों को अपार भक्ति व निष्ठा से भर दिया l गुरु -शिष्य सम्बन्ध पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ने भक्तो के हृदयों को छू लिया l सम्पूर्ण जगत की भलाई के लिए प्रार्थना करते हुए सभी शिष्यों ने सामूहिक ध्यान साधना की तथा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के विश्व शांति के महान लक्ष्य में पूर्णयोगदान देने का संकल्प लिया l
आत्मजागृति के बिना मनुष्य मात्र मांस और हड्डियों का पुतला है l जो व्यक्ति स्वयं बंधन में है वह किसी अन्य व्यक्ति को बंधन मुक्त नहीं कर सकता l इस समस्त संसार में केवल सद्गुरु ही है जो हमें इन बन्धनों से मुक्ति प्रदान करते हैं l हमारे सगे-सम्बन्धी सिर्फ हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं लेकिन गुरु हमारे आध्यात्मिक विकास का ख्याल रखते हैं l माता-पिता अपने बच्चो के शारीरिक विकास में मदद करते हैं तथा उनकी किशोरावस्था के आरंभिक वर्षो में बच्चो को पोषण देने और उन्हें मार्गदर्शन देने में सहायता करते हैं जबकि गुरु अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में शिष्य की आत्मा को पोषित कर उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करते हैं तथा आत्मा को मुक्ति की ओर ले जाते हैं l
कार्यक्रम के दौरान संस्थान के विभिन्न प्रचारको ने आध्यात्मिक प्रवचन कियेl उन्होंने बताया कि शास्त्रों में गुरु को परमेश्वर से उच्च स्थान दिया गया है क्योंकि वह मात्र गुरु ही है जो साधक को ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्रदान कर उसे ईश्वर का साक्षात्कार करवाते हैl गुरु आत्मा को अपनी यात्रा पूर्ण कर अपने लक्ष्य तक पहुंचने में आवश्यक भूमिका निभाते है l गुरु जीवन और मृत्यु के आवागमन के चक्र को समाप्त करते है और व्यक्ति को शरीर और मन की सांसारिक सीमाओं से मुक्त कर देते हैंl गुरु की कृपा शिष्य को आध्यात्मिकता के पथ पर अग्रसर होने में सहायता करती हैl सम्पूर्ण समर्पण की स्थिति में सद्गुरु शिष्य के ह्रदय में अपना स्थान बना लेते है तथा शिष्य का मार्गदर्शन करते है l वह शिष्य को वो नहीं देते जिसकी वह कामना करता है बल्कि वो प्रदान करते है जिससे उसकी आध्यात्मिक प्रगति हो सकेl वह अपने शिष्य के लिए जन्मदाता (जनरेटर), संचालक (ऑपरेटर) एवं विध्वंशक (डिस्ट्रॉयर) (GOD) की भूमिका निभाते है और उसे नश्वरता से शाश्वत्तत्व की ओर ले जाते है l इसलिए गुरु की पूजा शिष्य के जीवन में बहुत महत्व रखती है l दिव्य प्रवचन के रूप में अनमोल आशीर्वाद प्राप्त कर सभी भक्त आनंदित हो उठे ओर अंतिम श्वास तक भक्ति पथ के अनुगामी बने रहने का संकल्प भी लिया l