Hisar News, 02 Feb 2019 : लंबे समय से कैंसर एक वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में हमारे सामने है। अनुमान है कि भारत में 2.25 मिलियन लोग इस बीमारी के साथ अपना जीवन जी रहे हैं (रिपोर्ट-एनसीआरआई)। भारत में 40 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं की एक बड़ी संख्या अलग-अलग किस्म के कैंसर से पीडित है और इस बीमारी के कारण उनकी प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल असर पडता है। वास्तव में अब ऐसे युवा लोगों की संख्या बढती जा रही है, जो गुणवत्तापूर्ण जीवन से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हैं, और कैंसर के उपचार के बाद बच्चे को जन्म देना भी इन मुद्दों में शामिल है। ऐसी सूरत में ओन्को-फर्टिलिटी या फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन का सहारा लिया जाता है, ताकि लोगों की प्रजनन क्षमता या गर्भ धारण करने की क्षमता को बनाए रखने में मदद मिल सके।
4 फरवरी को मनाए जा रहे विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर नोवा आईवीआई फर्टिलिटी के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. मनीष बैंकर ने कैंसर रोगियों के लिए प्रजनन संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, बढती जागरूकता, जल्दी पता लगना और समय पर और प्रभावी उपचार हासिल करने से भारत में और विश्व स्तर पर कैंसर के जीवित रहने के मामलों की संख्या पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है। इस तरह कैंसर के इलाज के उपरांत बिताए जाने वाले जीवन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। कैंसर से बचे लोगों में जीवन की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त ध्यान और पुनर्वास जरूरी है।
कैंसर के उपचार के बाद जीवन से जुडी एक सामान्य समस्या जो सामने आती है, वह है परिवार शुरू करने की क्षमता। रोगी कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी में कुछ दवाओं और विकिरणों के संपर्क में आते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से मार सकते हैं और इसे फिर से सिर उठाने से रोक सकते हैं, लेकिन साथ ही युग्मक यानी अंडे और शुक्राणुओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे बाद में गर्भ धारण करने में कठिनाई होती है। कैंसर रोगियों के पास कैंसर के उपचार से पहले अपने अंडों, शुक्राणुओं या भ्रूणों को फ्रीज करने का विकल्प होता है, ताकि यदि दुर्भाग्यवश इनफर्टिलिटी का सामना करना पडे, तब भी वे ठीक होने के बाद प्रजनन उपचार के माध्यम से गर्भधारण कर सकते हैं। हमें सहायक प्रजनन तकनीकों, और क्रायोप्रेजर्वेशन मॉड्यूल में अधिक जागरूकता और प्रगति का आभारी होना चाहिए, जिनकी वजह से प्रजनन क्षमता का संरक्षण करना अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक हकीकत है और विभिन्न मामलों में यह सहायक हो सकता है। विशेष रूप से कैंसर से बचे लोगों के लिए प्रजनन संरक्षण, मातृत्व की सफल शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।