New Delhi News, 14 May 2019 : हर हाल में प्रभु पर भरोसा रखें। जीवन सुखमय हो या दुःखमय हो हमें इसे ईश्वर की रज़ा मानकर स्वीकार करना चाहिए। मन में किसी प्रकार की शंका को उत्पन्न न होने दें। निरंकार का सहारा सर्वोच्च है और हर समय सर्वोच्च मानकर दुनियां की हर वस्तु को उसके बाद ही महत्ता दें।
ये उद्गार निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने बाबा हरदेव सिंह जी की याद में आयोजित समर्पण दिवस पर यहांँ व्यक्त किए। बाबा हरदेव सिंह जी तीन वर्ष पूर्व 13 मई, 2016 को साकार से निराकार में विलीन हुए थे। इस समागम में दिल्ली तथा आस-पास के क्षेत्रों के अलावा देश के अन्य भागों से भी आये हुए हज़ारों श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया और अपने आपको इस मिशन को उन ऊँचाईयों तक ले जाने के लिए पुनः समर्पित किया जहाँ बाबा हरदेव सिंह जी इसे देखना चाहते थे।
सद्गुरु माता जी ने फरमाया कि बाबा जी भी यही चाहते थे कि हम निरंकार पर इतना दृढ़ विश्वास रखें कि स्थिति हमें अच्छी मिल रही हो या बुरी, हम केवल निरंकार का शुकराना ही करें और यह भी न सोचें कि ऐसा क्यों हुआ बल्कि मन में यही भाव हो कि परमात्मा जो कुछ कर रहा है वह हमारे लिए अच्छा ही होगा। अतः हम पल-पल इस निरंकार प्रभु परमात्मा के शुक्रगुज़ार ही बने रहें।
सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि हम संतों का संग करें और निरंकार को अन्तिम नहीं बल्कि पहला सहारा ही बनाये। जैसे बाबा जी ने चाहा हम हर समय इसका सुमिरण करें और इसे अपने मन से दूर न होने दें। इससे हमारे मनों के भाव निर्मल होंगे और हम सभी के साथ नम्रता पूर्वक व्यवहार करेंगे हमारे शब्दों में मिठास होगी। हम किसी भी विपरीत भाव को मन में नहीं आने देंगे। बाबा जी चाहते थे कि हम अपने नेक व्यवहार के कारण ही प्रशंसा के पात्र बन सकते हैं। मानवता, भाईचारे, एकत्व तथा सद्भाव जैसे गुण हमारे कर्म से झलकने चाहिए। हम किसी से भी कड़वा न बोलें।
सद्गुरु माता जी ने आगे फरमाया कि जीवन में सुख-दुख तो लगा ही रहता है पर हम एक सहज भाव रखें अपने आपको डोलने न दें। उन्होंने कहा कि बाबा जी को सच्ची श्रद्धांजलि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करने से होगी। बाबा जी हर एक भक्त को अपने परिवार से भी बढ़कर प्यार करते थे। उनकी नम्रता का तो कोई मुकाबला ही नहीं था। यहां तक कि वह हमेशा यही कहते थे कि मैं मिशन अथवा मानवता के लिए यदि कोई योगदान दे पाया हु तो उसका श्रेय निरंकार को जाता है, साध संगत को जाता है।
समागम के दौरान संत निरंकारी मण्डल के अध्यक्ष श्री गोबिन्द सिंह जी, केंद्रीय योजना एवं सलाहकार बोर्ड के चेयरमैन श्री खेमराज चड्ढा जी तथा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष परम् पूज्य बहन बिन्दिया छाबड़ा जी ने बाबा जी के साथ बिताये हुए समय को याद किया और कहा कि उनके मार्गदर्शन में मिशन के हर पहलू में विस्तार आया और उन्होंने प्रेम, नम्रता तथा सद्भाव की छाप हर उस व्यक्ति के मन पर छोड़ी जिसने कहीं भी उनके दर्शन किये और उनसे बात करने का अवसर मिला। उन्होंने यह भी प्रार्थना की, कि हम सद्गुरु माता सुदीक्षा जी के मार्गदर्शन में बाबा जी के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए तन, मन, धन से योगदान दे सकें।
इस अवसर पर निरंकारी स्टूडियो की ओर से एक डाक्यूमेंट्री दिखाई गई जिसमें बाबा जी के प्रवचनों के अंश शामिल थे जिसके द्वारा बाबा जी ने सत्संग के महत्व को विस्तारपूर्वक समझाया। इसके अलावा बाबा जी के जीवन के विशेष पहलुओं को लेकर बहुत ही प्रभावशाली झलकियां दिखाई गई। बाबा जी के जीवन तथा शिक्षाओं पर आधारित एक प्रदर्शनी भी लगायी गई जिसमें बाबा जी के बचपन से लेकर जीवन भर मानवता की सेवा के लिए किये हुए महान योगदान को विस्तारपूर्वक दिखाया गया था।