New Delhi News, 22 Feb 2019 : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने कुंभ, प्रयागराज में चलाए गए अपने भव्य अभियान का समापन समारोह बड़े ही विशाल स्तर पर मनाया| ‘सम्पूर्णोत्सव’ नामक यह कार्यक्रम सेक्टर-7, कुंभ मेला, प्रयागराज में स्थित संस्थान के शिविर में आयोजित किया गया। अपनी आलौकिक उपस्थिति के शुभारंभ से ही संस्थान के शिविर में नवक्रांति की लहर तरंगमय दिखी| ‘ईश्वर को देखा जाता है’ – इस मुख्य संदेश को लेकर कार्यरत्त, यह संगठन प्रयागराज की पावन भूमि पर मानव निर्माण की एक अनूठी व क्रांतिकारी कार्यशाला सिद्ध हुआ| इसी आवाहन को सुनकर हजारों की तादाद में ईश्वर जिज्ञासु एवं पिपासु-जन दूर-दराज़ के क्षेत्रों से यहां खिंचे चले आए।
संस्थान की कुंभ में कितनी सक्रिय व भव्य भूमिका रही- इसका अनुमान इन आंकड़ों की ऊंचाई से बखूबी लगाया जा सकता है: संस्थान के 5400 नि:स्वार्थ सेवकों ने कुंभ क्षेत्र के कोने-कोने में जाकर अध्यात्म का प्रचार किया| और अध्यात्मिक-सामाजिक जागृति अभियान की एक विराट मुहीम छेड़ दी| 36 दिनों के अंतराल में, इन अनुयायियों ने ब्रह्मज्ञान (ईश्वर के साक्षात दर्शन की सनातन विधि) के प्रचार-प्रसार में 43,200 घंटों की नि:स्वार्थ सेवा अर्पित की| ये सभी गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे की उड़ीसा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, इत्यादि से आए दीक्षित शिष्य-शिष्याएँ हैं| इनके अतिरिक्त, श्री आशुतोष महाराज जी के सन्यासी शिष्य व शिष्याएँ भी देश-विदेश की विभिन्न शाखाओं से यहाँ उपस्थित रहें| संस्थान ने एक माह में लगभग 150 भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किये, जैसे की श्रीमद भागवत कथा, श्रीराम कथा, भगवान शिव कथा; युवाओं के लिए सैम वर्कशॉप; कॉर्पोरेट और बुद्धिजीवी वर्ग के लिए पीस सेमिनार। साथ ही गूढ़ आध्यात्मिक संदेशों से ओत-प्रोत सरस व मधुर भजन संध्याएँ, महात्मा बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, मीराबाई, पाणिनि इत्यादि पर आधारित अद्भुत नाट्य मंचन; भारतीय संस्कृति की महिमा को दर्शाते कार्यक्रम; देश भक्ति की भावना को संजोय अनेकानेक प्रस्तुतियाँ इत्यादि ने तो आगंतुकों को आनंद-विभोर कर दिया।
इन सभी कार्यक्रमों में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने ‘आंतरिक त्रिवेणी संगम पर आधारित’ एक बहुत ही खूबसूरत मॉडल को दर्शाया| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में की गयी विस्तृत रिसर्च एवं शोध के बाद इस मॉडल को आकार दिया गया| इस मॉडल में प्रयागराज के बाह्य-स्वरूप को बहुत ही खूबसूरती से अंत:जगत से जोड़ा गया| इस मॉडल के अनुसार, विभिन उदहारणों से यह दर्शाया गया कि वास्तविक त्रिवेणी संगम अंतर्घट में आज्ञा-चक्र पर स्थित है| तथा असली अक्षयवट हमारे भीतर सहस्रदल कमल के रूप में विद्यमान है| आगंतुकों ने यह जाना कि अंतर्जगत के इस त्रिवेणी संगम में स्नान करने से यथार्थ में मनुष्य अपने पाप-संस्कारों से मुक्त हो पाता है व मोक्ष की राह पर अग्रसर होता है।
यह समापन समारोह एक बहुत ही खूबसूरत भजन संध्या से प्रारंभ हुआ, जिसका शीर्षक था- ‘गौ, गंगा व गायत्री’| साथ ही इसके पश्चात् एक अद्भुत वीडियो दिखाई गयी। जिसमें इंद्रधनुषी रंगों को समेटे, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कुंभ में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की झलकियां प्रस्तुत थी| कार्यक्रम में महिमामय व गणमान्य अतिथियों को प्रशस्ति पत्र तथा संस्थान का साहित्य देकर सम्मानित किया गया| साथ ही कुछ विशिष्ट मीडिया-कर्मियों को भी सम्मानित किया गया। जिन्होंने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के कार्यक्रमों का विस्तृत कवरेज अपने अखबारों व चैनलों पर किया।