New Delhi news, 28 Sep 2021: आजकल सर्वत्र अशांति, अराजकता, अनुशासनहीनता, असहिष्णुता का साम्राज्य इसी कारण व्याप्त है क्योंकि मन में स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष आदि की कुभावनाएँ प्रबल हो गयी हैं। शुक्ल यजुर्वेद के अध्याय से संग्रहित शिवसङ्कल्प सूक्त के प्रत्येक मंत्र में मन के शिवसङ्कल्प अर्थात् शुभ निश्चय वाला होने की प्रार्थना की गयी है क्योंकि इसके अभाव में जीवन के व्यावहारिक कार्यों में सर्वजनसुखाय, सर्वजनहिताय की भावना कभी नहीं आ सकती। रुद्राष्टाध्यायी की महत्ता को भली प्रकार जानते हुए एवं भारतीय होने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम अपनी भारतीय गरिमा की रक्षा करेंI
इसी प्रयास में भारतीय वैदिक संस्कृति के पुनरुथान एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार कार्यों में संलग्न दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा “शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी” के अंतर्गत एक विशेष कक्षा का आयोजन किया गया है जिसमें दिव्य ज्योति वेद मंदिर के शिक्षक, सह शिक्षक एवं प्रशिक्षुओं को रुद्री के नियम, उच्चारण व लय का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस कक्षा में 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
इसके साथ ही 20 सिंतबर से 30 सिंतबर तक दस दिवसीय संस्कृत संभाषण के 2 आरंभिक स्तर की कक्षा भी आरम्भ की गयीहै जिसमें लगभग 250+ संस्कृत प्रेमियों ने नामांकन करवाया। इस शिविर में विविध क्रीडायों व स्पर्धायों के माध्यम से संस्कृत भाषा को रोचक व सरल ढंग से सिखाया जा रहा है जिससे कि वे रोज़मर्रा की जिंदगी में संस्कृत भाषा का प्रयोग कर सकेंI जहाँ सभी को संस्कृत का सरल ज्ञान उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं इसके वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला जा रहा है।कक्षा की शुरुआत व्याकरण के कुछ साधारण नियम तथा मम् परिचय के साथ की गयी। इस शिविर में लगभग 180 विद्यार्थियों व संस्कृत प्रेमियों ने भाग लियाIइन कक्षाओं का उद्देश्य यही है किकोरोना संकटमें भी लोग अपने समय का सदुपयोग करते हुए देश की महान सभ्यता को जान सकें और महान राष्ट्र के महान नागरिकों के रूप में स्वयं को पुनः स्थापित कर सकें।