दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा 41 बैचों के रुद्रीपाठ एवं संस्कृत संभाषण शिविर के दीक्षांत समारोह का आयोजन

0
837
Spread the love
Spread the love

New Delhi News, 20 Oct 2021: गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज द्वारा संस्थापित दिव्य ज्योति वेद मंदिर एक शोध व अनुसंधान संस्था है जिसका एकमात्र ध्येय प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान द्वारा सामाजिक रूपांतरण करना है। वैदिक संस्कृति के प्रसार एवं वेदमंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को स्थापित करने तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मंदिर देश भर में कार्यरत है। वैश्विक महामारी COVID-19 के लॉकडाऊन अवधि से लेकर तत्कालीन समय में भी दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा विश्व स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुक्ल-यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी तथा संस्कृत संभाषण की नियमित कक्षाएं प्रारंभ की गई जिनमें वेद मंत्रों के विशुद्ध उच्चारण को
सिखाया गया। इसके अतिरिक्त संस्कृत भाषा को नियमित बोल चाल की भाषा बनाने के ध्येय से पिछले साल COVID-19 के लॉकडाऊन के समय से अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृत वक्तृत्व की नियमित कक्षाओं का आयोजन किया गया है। दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा हाल ही में संस्कृत संभाषण एवं रुद्रीपाठ सत्र संपन्न करने वाले 41 बैचों के ऑनलाइन दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। दीक्षांत समारोह में लगभग 2000 से अधिक प्रतिभागियों को रुद्रीपाठ एवं संस्कृत सम्भाषण शिविर में सफलता अर्जित करने के लिए समापन प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा तले गुरु स्त्रोतम मंत्र के गायन के माध्यम से
समारोह को प्रारम्भ किया गया। विभिन्न प्रकार की गतिविधियों जैसे बूझो तो जाने, रिक्त स्थान भरें, झटपट बोल, स्पिन द व्हील, हास्यरस, वाक्य निर्माण आदि के माध्यम से प्रतिभागियों को कार्यक्रम में संलग्न किया गया।

संभाषण शिविर के दोहरान परस्पर संवादात्मक तकनीक के द्वारा विभिन्न रूचिप्रद गतिविधियों जैसे गणना, वस्तु पहचान, लघु वाक्य निर्माण, समय आदि के संस्कृत उच्चारण के माध्यम से प्रतिभागियों में संस्कृत सीखने के प्रति रूचि को जगाया गया। प्रतिभागियों एवं शिक्षकों ने अपने अपने अनुभवों को साझा किया एवं यह भी बताया की किस प्रकार यह रुद्रीपाठ एवं संभाषण सत्र संस्कृत भाषा की महत्ता एवं उसके संरक्षण के विषय में जानने में उपयोगी रहे। संस्कृत भाषा का सरल रूप में नियमित प्रयोग इस भाषा के महत्व को बनाये रखने तथा अपनी ही जन्म भूमि में विलुप्त होने से बचाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं अनूठी पहल है। अंत में सभी अतिथि गणों द्वारा संस्थान के बेहद दिलचस्प एवं परस्पर संवादात्मक सत्रों, जो भविष्य में भी संस्कृत सीखने के इच्छुक प्रतिभागियों का मार्ग प्रशस्त करेगा के आयोजन के सन्दर्भ में गुणगान करते हुए बधाई दी गयी। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारिका साध्वी दीपा भारती जी ने सत्र को समापन की ओर ले जाते हुए सभी प्रतिभागियों को सत्र के सफलता पूर्ण समापन पर बधाई दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here