New Delhi, 26 Aug 2020 : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का सामाजिक प्रकल्प मंथन –संपूर्ण विकास केन्द्र अभाव ग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करता संपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत पूरे देश में 20 संपूर्ण विकास केन्द्र हैं जिसमें लगभग 2000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। प्रकल्प का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विविध स्तर जैसे शैक्षणिक,शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर पोषित कर उनमें नैतिक मूल्यों को उन्नत करना है।
इसी कड़ी में मंथन में शिक्षा प्राप्त कर चुके, पूर्व छात्रों के लिए 22 अगस्त को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला तीन सत्रों में सम्पन्न हुई। प्रथम सत्र दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारिका डॉ. शिवानी भारती द्वारा लिया गया। उन्होनें छात्रों के समक्ष सुषुंम्ना नाड़ी के वैज्ञानिक पक्ष को उजागर किया।
उन्होनें समझाया की शरीर में सात नाड़ियाँ होती हैं जिनसे होकर शरीर की ऊर्जा प्रवाहित होती है, परंतु इन सभी नाड़ियों में सुषुम्ना प्रधान है, यह नाड़ी मूलाधार से आरंभ होकर सहस्रार तक आती है और जब शरीर की ऊर्जा शक्ति सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है और तभी से यौगिक जीवन शुरू होता है।यह ऊर्जा सतगुरु द्वारा उद्घाटित हुआ करती है और इस परमज्ञान को ब्रह्मज्ञान कहते हैं।उन्होंने शास्त्रों के आधार से समझाया कि जब हम निरंतर इस ब्रह्मज्ञानआधारितध्यानसाधनाका अभ्यास करते हैं तो इसके फलस्वरूप जीवन में सकारत्मकता, शांति, एकाग्रता आदि उदात्त गुण स्वतःही हमारे भीतर आने लगते हैं जिसके परिणाम स्वरूप अध्ययन क्षेत्र के साथ-साथ, जीवन के हर क्षेत्र में हम उन्नति के शिखर को सकते हैं |
इस कार्यशाला का द्वितया सत्र Happiness is Love परियोजना की संयोजिका मनोवैज्ञानिक ज्योति का बेदी द्वारा लिया गया। इस सत्र का विषय “ सकारात्मक दृष्टि कोण का विकास’’ था।
उन्होनें बच्चों को विभिन्न उद्धहरणों से समझाया की कैसे इस वैश्विक महामारी के दौर में जहाँ हर ओर निराशा, दुख आदि व्याप्त है , ऐसे समय में कैसे सकारात्मक रहा जा सकता है।
उन्होनें बताया कि यूँ तो यह संकट पूर्ण स्थिति है परंतु यही समय है एकजुट होने का, एक दूसरों की सहायता करने का ,बड़ों का सम्मान करना व उनके प्रति कृतज्ञता के भाव को प्रकट करने का, नए –नए कौशल सीखकर स्वयं का निर्माण करने का और साथ ही उन्होनें बच्चों में शुक्राना, सहानुभूति आदि भावनाओं को रोपित करने का प्रयास किया।
कार्यशाला के अंतिम चरण में, संगीतीय पहेली के रोचक सत्र को मंथन प्रकल्प के कार्यकर्ता तुषार पाल द्वारा लिया गया। उन्होनें गिटार बजाकर संगीतमय अंदाज़ में बच्चों को पहेली सुलझाने को कहा जिस के माध्यम से बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया गया तथा पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों की ओर ध्यान केन्द्रित किया गया|
कुल मिलाकर यह सत्र अत्यंत ही ज्ञान वर्धक, रोचक व आनंद दायक रहा| बच्चों ने सहर्ष बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता दिखायी| इस सत्र में लगभग 55 मंथन के पूर्व छात्र लाभान्वित हुए | बच्चों ने इन सत्रों का भरपूर लाभ उठाया।