तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा फायदा

0
1311
Spread the love
Spread the love

New Delhi News, 26 March 20202 : ल्युशियाना लाइट और मार्स यूएस के क्रमश: 21 फीसदी और 3 फीसदी बढ़ने के कारण यूएस शेल ऊपर रहा। वहीं अन्य ऑयल मानक जैसे ओपेक बास्केट, यूरल्स, डब्ल्यूटीआई क्रूड और ब्रेंट क्रूड में 8 से 13 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। इंडियन बास्केट भी करीब 14 फीसदी तक गिरा। इसी प्रकार के ट्रेंड नैचुरल गैस में भी देखने को मिला, जो शुरुआत में 2 फीसदी बढ़ोतरी के बाद ओपनिंग प्राइज से 1.5 फीसदी नीचे गिरकर 1.721 डॉलर के लेवल पर पहुंच गया।

एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड, डीवीपी इक्विटी रणनीतिकार, ज्योति रॉय का कहना है कि ऑयल मार्केट की मौजूदा गिरावट के पीछे कई कारण हैं। ट्रेड वॉर और कोरोना वारयस के प्रभाव के अलावा क्रूड ऑयल अपने प्राइज वार का भी सामना कर रहा है, जहां वैश्विक कंपनियां लगातार कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा रही हैं।

वास्तविकता में हो क्या रहा है?
पिछले कुछ समय में कच्चे तेल की जरूरत से ज्यादा सप्लाई हो रही है। ओपेक समूह इसके उत्पादन को सीमित करने में सक्षम हैं। खैर, कोरोनावायरस के विस्तार के कारण वैश्विक मांग में कमी आ गई और यह समूह आपस में बंट गया। मार्च तक किसी भी सर्वसम्मत निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका और ओपेक व नॉन ओपेक देशों ने उत्पादन बढ़ाना जारी रखा।

ट्रेड वॉर की ही तरह, अब रूस और सऊदी अरब के बीच ऑयल सप्लाई वॉर भी शुरू हो गया है। सऊदी अरब आधारित अर्मेको प्रति दिन 20 लाख बैरल के साथ उत्पादन बढ़ा रही है। वहीं रूसी सरकारी ऑयल कंपनी रोज़नेफ्ट पीजेएससी भी 1 अप्रैल से प्रति दिन 3 लाख बैरल प्रति दिन के उत्पादन की योजना बना रही है। लीबिया जैसे भू-राजनीतिक देश को भी उत्पादन बढ़ाने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

इसके क्या प्रभाव होंगे?
इन निर्णयों से कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने से कीमतों में और कमी आएगी। यह तब हो रहा है, जब कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में कच्चे तेल की मांग कम हुई है। हम जिस बात के प्रत्यक्षदर्शी बन रहे हैं, जहां पर यदि उचित कदम न उठाए गए तो ऑयल मार्केट पूरी तरह से नेस्तानाबूत हो जाएगा। डब्ल्यूटीआई व ब्रेंट क्रूड के साथ यूएस शेल पहले ही 30 डॉलर की नीचे आ चुका है। अमेरिका द्वारा जारी किए गए 2 करोड़ ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज से कुछ उम्मीद जगी है, जिससे आज कुछ सपोर्ट देखा जा सकता है। हालांकि उम्मीद की यह किरण काफी धुंधली है। सभी तेल उत्पादकों कीमतों को और गिरने से रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से उत्पादन कम करना होगा।

भारत के लिए इसमें क्या है?

भारत को इस परिस्थिति का लाभ मिलेगा। कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की गिरावट का सीपीआई इंफ्लेशन में 40 से 50 बीपीएस का सीधा असर होता है। इसके साथ ही 10 यूएसडी/बीबीएल ड्रॉप से क्रूड ऑयल में करीब 16.3 बिलियन फॉरेक्स की बचत होगी। हमारे देश ने 2019 में 44.8 लाख बीपीडी ऑयल का आयात किया है। और अब स्ट्रैट्जिक रिजर्व के लिए 5 हजार करोड़ के कच्चे तेल की खरीदी का निर्णय लिया गया है। इस कदम से भारत का 5.33 एमटी स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम पूरी तरह से फुल हो सकता है, जो पहले से ही आधा भरा हुआ था। अंत में ईंधन की कम कीमतों से ग्राहकों की कुल आय में इजाफा होगा। इसलिए कोविड-19 के असर को देखते हुए कच्चे तेल की कीमतों का कम होना भारत के लिए अत्यंत आवश्यक राहत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here