गणेशोत्सव विशेष: श्री गणपति से सीखिए सर्वश्रेष्ठ लीडर बनने के गुण: आशुतोष महाराज

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New Delhi News, 07 Sep 2021: आज के लीडर सिर्फ और सिर्फआर्थिक प्रगति को ही सफलता का पैमाना मानते हैं। और इस आर्थिक प्रगति के लिए वे सिर्फअपने दिमाग की सुनते हैं। सच कहें, तो आज केलीडर इतनी ज़्यादा बुद्धि की सुनते हैं कि उनकेदिल की आवाज़ दब तो क्या, कुचलकर खत्मही हो चुकी है। यानी लीडर का ‘आई. क्यू.’(इंटेलिजेंस कोशेंट माने बौद्धिकता) का स्तर तोबढ़ता जा रहा है, पर ‘ई. क्यू.’ (इमोशनल कोशेंटमाने भावनात्मकता) का स्तर घटता जा रहा है। एक शोध के अनुसार यह पाया गया कि जैसे-जैसे लोगों का ओहदाबढ़ता है या यूँ कहें कि जैसे-जैसे कोई लीडर सफलता की सीढ़ियाँचढ़ताहै, वैसे-वैसे उसका भावनात्मक स्तर कम होता जाता है।पर क्या आप जानते हैं कि गणाध्यक्ष का गजमुख किस बातकी ओर संकेत करता है? हाथी एक अत्यंत भावुकप्राणी है। वहकरुणा, सहयोग, मैत्री के भावों को बहुत अच्छे से समझता औरनिभाता है। अपने झुंड के हर साथी के साथ भावनात्मक रिश्ता साँझाकरता है। इतना ही नहीं, अन्य जीवों के सहयोग के लिए भी तत्पररहता है। पर ऐसा भी नहीं कि उसमें बुद्धि काअभाव है। बल्कि अन्य जीवों की तुलना में हाथी में ग्रे-मैटर(बुद्धि)सबसे ज़्यादा होता है। सो, गणाध्यक्ष अपने इस स्वरूप से हम सभीलीडरों को यह संदेश देते हैं कि अच्छे लीडर में बुद्धि और भावदोनों का संतुलन होना चाहिए। उसे केवल आर्थिक प्रगति को लक्ष्यबनाकर बुद्धि केअधीन हो निर्णय नहीं लेने चाहिएँ, बल्कि कंपनीके कर्मचारियों की स्थिति और भावनाओं का भी ध्यान रखते हुएविवेक और दिल दोनों से कंपनी व कर्मचारियों के हित में निर्णयलेने चाहिएँ।

एक और बात जो गणाध्यक्ष का मुख बताता है, वह है- ‘लीडर को झगड़ों में उलझना नहीं चाहिए’। क्या आपको पता है कि गजका सिर बहुत नाजुक होता है? इसी कारण हाथी एक दूसरे कोसिर से नहीं छूते। ठीक इसी तरह लीडर भी अगर आपस में टकरावरखेंगे, तो निश्चय ही सफलता विफलता में परिवर्तित हो जाएगी।इसलिए सदैवटकराहट, फसाद, झगड़े से दूर रहें।

चलिए, अब गज के कानों के आकार से प्रेरणा लेते हैं। गज केकर्ण बहुत बड़े होते हैं। एक अच्छे लीडर के भी कान बड़े होने चाहिए। दरअसल, बड़े कान प्रतीक हैं, अच्छा श्रोता होने का। यानीएक लीडर के लिए सिर्फ एक अच्छावक्ता होना पर्याप्त नहीं है।यदि वह अपने कर्मचारियों, साथियों के मतों व विचारों को सही सेनहीं सुनता, तो निश्चय ही वह कामयाब लीडर नहीं बन सकता।लेकिन एक अच्छा लीडर वही है, जो सुनने की क्षमता को इससेभी ज़्यादा बढ़ाता है।

गजमुख की छोटी आँखें यहीलीडरशिप कौशल सिखाती हैं कि एक लीडर काफोकस गहरा व केन्द्रित होना चाहिए। युवा लीडर स्वामी विवेकानंद के इस कथन मेंआजकल के लीडरों को गज जैसी संकेन्द्रित आँखेंरखने कीसीख स्पष्ट है- ‘एक इरादा (लक्ष्य) लेलो। उस लक्ष्य को अपना जीवन बनाओ- उसके बारे में चिंतन रखो, उस लक्ष्य को लेकर जीओ। अपना मस्तिष्क, नसें, मांसपेशियाँ, शरीर का हर हिस्सा उसे पाने में लगा दो। तभी तुम्हें सफलता मिल सकती है।’ गज की छोटी आँखें यही कौशलसूत्र बताती हैं।

गणेश जी को लम्बोदर कहते हैं क्योंकि उनका उदर बहुत बड़ा है। यह प्रतीक है इस बात काकि लीडर की पाचन-शक्ति बहुत अच्छी होनी चाहिए। कहने का अर्थ कि यदि आपको कोई बुरा-भला कह दे, तो आप एकदम से प्रतिक्रिया न करें। सूझ-बूझ से काम लें। अंततः यही कहेंगे कि अच्छा लीडर वहनहीं होता, जो खुद आगे तन कर चले और अपने कर्मचारियों कोआदेश दे। श्रेष्ठ लीडर तो सबको रास्ता दिखाते हैं और स्वयं उनके पीछे रहते हैं उन्हें संभालने के लिए। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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