New Delhi, 05 Feb 2021 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2021-22 की घोषणा रवींद्र नाथ टैगोर के हवाले से एक सकारात्मक टिप्पणी के साथ कीः “विश्वास वह पक्षी है जो अंधेरा होने पर भी भोर में प्रकाश को महसूस करता है।” 2020 वैश्विक महामारी के कारण पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी वर्ष साबित हुआ है, पर पिछले कुछ महीनों में टैक्स कलेक्शन में उछाल रिकवरी के संकेत थे। ये सभी संकेत बताते हैं कि भारत में स्थिति सुधर रही है। हालिया बजट घोषणाओं ने स्पष्ट रूप से सरकार की ओर से इशारा किया है कि मजबूत वी-आकार की रिकवरी के लिए निर्णायक कदम उठाए गए हैं। यह राजस्व और पूंजीगत आइटम्स दोनों पर सरकारी व्यय में बहुत आवश्यक कदम के कारण और खराब प्रदर्शन कर रहे सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों के विनिवेश जैसे फैसलों के कारण था। सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय को बुनियादी ढांचे के खर्च में वृद्धि द्वारा संचालित किया जाएगा।
इन घोषणाओं का शेयर बाजारों पर सकारात्मक असर हुआ, जो 5% लाभ के साथ क्लोज हुआ। सेंसेक्स 48,600.61 पर, 2314.84 अंक या 5.00% की बढ़ोतरी पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 646.60 अंक या 4.74% चढ़कर 14,281.20 पर बंद हुआ। सरकार द्वारा आर्थिक सुधार की अपनी योजनाओं को लागू किए जाने से खुशी की स्पष्ट भावना थी। योजनाएं विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं: स्वास्थ्य सेवा, ऑटो, बुनियादी ढांचा और कृषि क्षेत्र, और विकास और रोजगार सृजन के लिए एक उत्प्रेरक होगा। यह लेख कुछ बड़े-टिकटों की घोषणाओं के बारे में बात करता है, जिसके कारण बाजारों ने बजट में की गई घोषणाओं के बाद रैली की।
#1 खर्च पर बढ़ा हुआ फोकस
वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 में 4.39 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की। खर्च में यह वृद्धि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और उद्योगों को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण होगी। बुनियादी ढांचा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण ड्राइवर है, और वी-आकार की रिकवरी के लिए इसका आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है। निवेश के रूप में नई पूंजी के इंजेक्शन से कई उद्योगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा जो बदले में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करेंगे और विकास को गति देंगे। बुनियादी ढांचे के खर्च में वृद्धि के साथ सीमांत विकास पर ध्यान केंद्रित करने से बाजार और निवेशकों को समान रूप से विश्वास की जरूरत है।
#2 ऑटो उद्योग को पुनर्जीवित करना
सरकार ने प्रमुख नीतिगत निर्णयों की घोषणा की जो वाहन बिक्री को बढ़ावा देंगे और निर्माताओं और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन देंगे। विशेष रूप से न्यू व्हीकल स्क्रेपेज पॉलिसी का नए वाहन स्वामित्व पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इस योजना के तहत, 20 वर्ष से अधिक पुराने पर्सनल और 15 वर्ष से अधिक के व्यावसायिक वाहनों को अलग करना होगा। वित्त वर्ष 2019 से ऑटो उद्योग में गिरावट देखी जा रही है और उपभोक्ता व्यय में वृद्धि के माध्यम से उद्योग को पुनर्जीवित करने में मदद की जरूरत है। ऑटो उद्योग अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े उद्योगों में से एक है और एक प्रमुख ड्राइविंग फोर्स है। किसी भी पर्याप्त रिवाइवल का शेयर बाजारों में मजबूत प्रभाव पड़ेगा।
#3 आयकर और टैक्स छूट में कोई बदलाव नहीं
भले ही बड़े पैमाने पर सिफारिशें और उम्मीदें थी कि आयकर से जुड़े नियमों में ढील दी जाएगी, लेकिन सरकार ने आयकर उपायों को नहीं बदलते हुए साहसिक कदम उठाया। इसमें आयकर स्लैब में बदलाव, पीपीएफ सीमा और धारा 80 सी में छूट शामिल थी। सरकार ने कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (एआईडीसी) लगाया है, यह इस तरह से किया गया है जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। इन उपायों से बाजार की धारणा में तेजी आई है।
#4 नॉन परफॉर्मिंग असेट्स में रणनीतिक विनिवेश
वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किए हैं। मंत्री ने आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्प, एयर इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की रणनीतिक बिक्री की घोषणा की; एलआईसी ऑफ इंडिया के लिए एक प्रारंभिक आईपीओ के साथ। आईडीबीआई बैंक के अलावा, सरकार की योजना 2 प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की है। नीति का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों सहित केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की उपस्थिति को कम करना और निजी क्षेत्र के लिए नया निवेश स्थान बनाना है।
बेशक, जैसा कि कहा जाता है, हलवे का सबूत चाहिए तो उसे खाकर देखो। सफलताओं के दिखाई देने तक बाजार विनिवेश लक्ष्य पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि, पहली पंक्ति के अप्रौच के रूप में सरकार द्वारा उल्लेखित रणनीतिक विनिवेश रोडमैप को बाजार ने अच्छा प्रतिसाद दिया।
#5 प्रमुख सेक्टरों के लिए पीएलआई स्कीम
सरकार का लक्ष्य व्यवसायों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना है। बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया कि “हमारी विनिर्माण कंपनियों को वैश्विक सप्लाई चेन्स का अभिन्न अंग बनने की आवश्यकता है।” छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 13 क्षेत्रों को कवर करते हुए पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेटिव्ह) योजनाओं के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए और अगले तीन वर्षों में सात टेक्सटाइल पार्क लॉन्च करने का वादा किया है। इस कदम का उद्देश्य उत्पादकों और चैंपियन क्षेत्रों के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करना और घरेलू विनिर्माण की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद करना है। बाजार ने इन घोषणाओं पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की, जो विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों के निर्माण पर एक मजबूत प्रभाव डालेगा।श्री ज्योति रॉय, इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट, एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड