भारत, 22 जनवरी, 2024: रोजगार, रोजगार योग्यता और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में क्रांति लाने वाले भारत के अग्रणी स्टाफिंग समूह टीमलीज़ सर्विसेज ने वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही (अक्टूबर 2023 से मार्च 2024) के लिए भारत में रोजगार और भर्ती की स्थिति को प्रदर्शित करने के लिए अपनी ‘एम्प्लॉयमेंट आउटलुक रिपोर्ट’ जारी की है। इस रिपोर्ट में 14 शहरों की 1820 कंपनियों के आंकड़े जुटाए गए हैं। यह रिपोर्ट 22 इंडस्ट्रीज के अनुमानित रोजगार रुझानों का व्यापक विश्लेषण करती है। इसके चलते ये रिपोर्ट व्यवसायों, मानव संसाधन से जुड़े लोगों और नीति निर्माताओं के लिए एक अनिवार्य संसाधन बन जाती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है देश में रोजगार में बढ़त के अच्छे संकेत मिल रहे हैं। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 79% नियोक्ता वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में अपने कार्यबल को बनाए रखने या इसको बढ़ाने का इरादा रखते हैं। उपभोक्ता और खुदरा कंपनियों में चौथी तिमाही में तेजी देखने को मिलेगी। तीसरी तिमाही में त्योहारी सीजन में अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कम मांग के कारण सुस्ती देखने को मिली थी। इस रिपोर्ट में फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत दिए गए हैं। इसमें कहा गया है जोखिम वाले ऋणों के लिए उधार मानदंडों पर आरबीआई की सख्ती को देखते हुए बैंक, एनबीएफसी और फिनटेक काफी सतर्क नजरिया अपनाते दिखेंगे।
रिपोर्ट के निष्कर्षों के मुताबिक, दूसरी छमाही में देश में कार्यबल विस्तार, नई भर्ती और रिप्लेसमेंट भर्ती सहित सभी नियुक्तियों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। कार्यबल विस्तार में इस उछाल का श्रेय सरकारी नीतियों और पहलों को दिया जा सकता है, जिनका उद्देश्य रोजगार के अवसरों को मजबूत करना और देश में व्यवसाय के अनुकूल वातावरण तैयार करना है।
भारत में वित्त वर्ष 2023-24 (वित वर्ष 2024 की पहली तिमाही) की पहली तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 7.8% की उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। यह मजबूत जीडीपी ग्रोथ एक जोरदार आर्थिक प्रगति का संकेत है। इससे देश भर में नई नियुक्तियों में तेजी आई है। यह रिपोर्ट भारत में रोजगार को प्रभावित करने वाले कारणों पर भी प्रकाश डालती है। आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक स्थितियां रोजगार के माहौल को काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं। 69% उत्तरदाताओं ने इस बात का समर्थन किया है। इसके अलावा नौकरियों में बढ़ोतरी में व्यावसायिक विकास या विस्तार एक महत्वपूर्ण कारण है। 53 फीसदी उत्तरदाताओं इस बात का समर्थन किया है। उद्यमों को सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप भारत रोजगार के अवसरों में बढ़त के लिए तैयार है।
31% उत्तरदाताओं की राय है कि कौशल की कमी और उपलब्ध कुशल कर्मियों और नौकरियों के बीच के अंतर के चलते नियुक्तियों की संख्या पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा, 19% उत्तरदाता इस बात से सहमत हैं कि भारत में रोजगार के अवसरों को तय करने में तकनीकी प्रगति एक महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। वहीं, 15% उत्तरदाताओं का मानना है कि नीति में बदलाव, जैसे कि श्रम कानून और विनियम, कराधान, निवेश प्रोत्साहन, इंडस्ट्रियल रेग्युलराइजेशन और ग्लोबल ट्रेंड में होने वाले बदलाव, भारत में रोजगार के रुझान को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस रिपोर्ट की एक और खास बात यह है कि 67% उत्तरदाताओं ने अक्टूबर-मार्च 2023-24 छमाही के दौरान मजबूत कारोबारी ग्रोथ की उम्मीद जताई है। ये भारत के आशावादी आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि जैसे-जैसे त्योहारी सीज़न अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है, नियुक्तियों में तेजी जारी रहने की संभावना है। सर्वेक्षण में शामिल 79% नियोक्ताओं को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले छह महीनों में अपने संबंधित उद्योगों में कार्यबल में बढ़ोतरी की उम्मीद है। 79% पर नई नियुक्तियां और 74% पर रिप्लेसमेंट नियुक्तियां तेजी के दौर में हैं जो देश में एक मजबूत श्रम बाजार का संकेत दे रही हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्षों से भारत में नौकरी बाजार के विभिन्न पहलुओं के खास रुझानों का पता चलता है। अलग-अलग इंडस्ट्री के रुझानों पर नजर डालें तो पता चलता है कि हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर की 86% कंपनियां अपने कार्यबल में विस्तार के लिए तैयार हैं। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर 85% के साथ इससे थोड़ा ही पीछे है। इसके अलावा, नई नियुक्तियों के लिए तैयार टॉप इंडस्ट्रीज में 88% पर इलेक्ट्रिक वाहन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और 87% पर हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स भी शामिल हैं। रिप्लेसमेंट हायरिंग के मामले में पावर और एनर्जी 88 फीसदी के साथ सबसे आगे हैं, इसके बाद फास्ट मूविंग कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 85% और हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स 84% के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
इंडस्ट्री और रिपोर्ट के निष्कर्षों के बारे में अपने विचार साझा करते हुए टीमलीज़ सर्विसेज के सीईओ – स्टाफिंग, श्री कार्तिक नारायण ने कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था के तेज विकास को देखते हुए नियोक्ताओं के बीच भारी उम्मीद और उत्साह देखने को मिल रहा है। 79% नियोक्ता अपने वर्कफोर्स को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जो खासकर चौथी तिमाही के लिए इस उत्साह को बल देने वाले एक मजबूत वित्तीय आधार का संकेत है। तीसरी तिमाही में धीमी गति के बावजूद, रोजगार में बढ़ोतरी की यह प्रवृत्ति केवल कर्मचारियों की संख्या में बढ़त से ही नहीं जुड़ी है। बल्कि, यह आर्थिक विकास का लाभ उठाने और अनुकूल नीतियों का लाभ उठाने के लिए एक रणनीतिक कदम है, जो देश के आर्थिक पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देता है”।
उन्होंने कहा “नई बदलती और विकसित होती स्थितियों में हमारे पास कार्यबल के लिए एक उज्जवल भविष्य को आकार देने के अवसर हैं। हमें कौशल को अनुकूलित करना, नवाचार और निवेश करना जारी रखना चाहिए और विविधता और समावेशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आने वाले महीनों में भारत के विकास को गति देगा।”
टीमलीज़ सर्विसेज के वीपी और बिजनेस हेड, बालासुब्रमण्यम ए ने कहा कि “हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) , इंफ्रास्ट्रक्चर और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (एफएमसीडी) जैसे उपभोक्ता आधारित सेक्टरों में आगे नौकरियों में काफी बढ़त की उम्मीद दिख रही है। नौकरी के आंकड़ों में यह उछाल नवाचार, स्थिरता और टेक्नोलॉजी में प्रगति से प्रेरित है। ये सेक्टर सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में सबसे आगे हैं। चाहे वह आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना हो, पर्यावरण-अनुकूल मोबिलिटी सोल्यूशन विकसित करना हो या उपभोक्ताओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करना हो, ये सेक्टर सबसे आगे दिखते हैं। उनके दूरदर्शी नजरिए और बदलते बाजार के प्रति अनुकूलनशीलता इन सेक्टरों में पर्याप्त नौकरी के अवसर पैदा करते हैं।”
बीएफएसआई सेक्टर की मजबूत ग्रोथ पर टिप्पणी करते हुए, टीमलीज़ सर्विसेज के वीपी और बिजनेस हेड, कृष्णेंदु चटर्जी ने कहा, “79% नियोक्ता नई भर्ती के लिए तैयार हैं, और 70% रिप्लेसमेंट नियुक्ति के लिए तैयार हैं। बीएफएसआई कार्यबल विस्तार के लिए दूसरी छमाही में कोलकाता सबसे आगे है। ह्यूमन रिसोर्स सेक्टर नई नियुक्तियों के मामले में सबसे आगे दिख रहा है। रोजगार बाजार में उत्साह दिख रहा है। सभी इंडस्ट्रीज में नई नियुक्तियों में कोई भी 65 फीसदी से नीचे नहीं गिर रहा है। इसके अलावा ब्लू-कॉलर नौकरियों में 85 फीसदी इंक्रीमेंटल ग्रोथ व्यावहारिक परिचालन भूमिकाओं के महत्व को दर्शाती हैं।”
अलग -अलग शहरों के रुझानों की जांच करते समय यह रिपोर्ट उन खास स्थानों पर प्रकाश डालती है जहां रोजगार के अवसर पनप रहे हैं। बैंगलोर में इंक्रीमेंटल कार्यबल विस्तार की दर सबसे अधिक 89% है, इसके बाद चेन्नई में 83% और मुंबई में 82% है। नई नियुक्तियों के लिए, बैंगलोर ने 87%, मुंबई में 86% और चेन्नई में 83% पर अपनी लीडरशिप बरकरार रखी है। रिप्लेसमेंट हायरिंग की कटेगरी में मुंबई 82% के साथ सबसे आगे है, इसके बाद बैंगलोर 78% और चेन्नई 76% के साथ दूसरे स्थान पर है। टियर-2 शहर भी पीछे नहीं हैं क्योंकि ये शहर व्यावसायिक अहमियत हासिल कर रहे हैं। कोयंबटूर, गुड़गांव, कोच्चि, नागपुर, चंडीगढ़ और इंदौर जैसे शहरों में हाई इंक्रीमेंटल कार्यबल विस्तार देखने को मिल रहा है।
इस रिपोर्ट में अलग-अलग सेक्टर्स में नौकरियों के रुझान पर प्रकाश डाला गया है। इससे पता चलता है कि कार्यबल विस्तार के मामले में मानव संसाधन, मार्केटिंग और आईटी क्रमशः 71%, 70% और 70% के साथ सबसे आई। नई नियुक्तियों के मामले में मानव संसाधन 92% दर के साथ सबसे आगे है, जबकि मार्केटिंग 87% के साथ उसके थोड़ा ही पीछे है। रिप्लेसमेंट नियुक्ति के मामले में आईटी 94% के साथ सबसे आगे है। वहीं, मानव संसाधन 89% के साथ उसके पीछे है।