New Delhi, 10 Nov 2020 : बहुप्रतीक्षित त्योहार- दीवाली करीब आ गया है। प्रकाश पर्व खुशी और समृद्धि का प्रतीक है और यह अब दस्तक दे रहा है। दीवाली के शुभ अवसर पर लोग अक्सर ट्रेडिंग यह सोचकर करते हैं कि इस समय किया गया निवेश आने वाले समय में कई गुना रिटर्न देगा। इस वजह से शुभ अवसर की ट्रेडिंग को मुहूर्त ट्रेडिंग के तौर पर जाना जाता है। यह आम तौर पर दीवाली के दिन शाम को एक घंटे के लिए होती है।एंजेल ब्रोकिंग
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोनोवायरस महामारी से लड़ाई लड़ रही है, दुनियाभर के शेयर बाजार अस्थिरता के संकेत दे रहे हैं, और भारतीय बाजार इसका अपवाद नहीं हैं। ऐसे परिदृश्य में दीवाली के दौरान मुहूर्त ट्रेडिंग के घंटे जैसी पुरानी परंपराएं सभी नकारात्मकता को दूर करने पर फोकस रहती है, और निवेशकों को सकारात्मकता के साथ नए फाइनेंशियल साइकल चक्र को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है?
मुहूर्त ट्रेडिंग की परिभाषा पहले भी कई मर्तबा समझाई जा चुकी है और यहां हम आपके लिए यहां एक क्विक गाइड लेकर आए हैं ताकि आप इसका महत्व समझ सकें। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मुहूर्त एक शुभ समय होता है, जिसमें ग्रहों की स्थिति कुछ इस तरह से होती है कि इस अवधि में कुछ भी काम करें तो वह पॉजिटिव होता है। लाखों भारतीय मानते हैं कि यह किसी भी गतिविधि के लिए शुभ माना जाता है। मान्यता यह है कि इस तरह के शुभ मुहूर्त में किए गए काम पर अच्छा पुरस्कार मिल सकता है। व्यवसायों के अच्छे परिणाम आ सकते हैं और वह काम बुरी शक्तियों से मुक्त होता है।
मुहूर्त ट्रेडिंग दीवाली के दिन एनएसई और बीएसई जैसे भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में होने वाला प्रतीकात्मक ट्रेडिंग सेशन है। यह एक घंटे का सत्र है, और पारंपरिक हिंदू अकाउंटिंग वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करता है।
स्टॉक एक्सचेंजों के साथ-साथ मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन निवेशकों के लिए कमोडिटी एक्सचेंजों में भी आयोजित होते हैं। हालांकि, निवेशकों को निवेश करते समय शांत रहना चाहिए, और उन्हें भावुक होकर या जल्दबाज़ी किए बिना निवेश करना चाहिए। गलत निवेश निर्णय लेने से बचने के लिए, उन्हें सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए।
निवेशक इसका अधिकतम लाभ कैसे उठा सकते हैं?
फेस्टिवल के दौरान भारतीयों के बीच मुहूर्त ट्रेडिंग बेहद लोकप्रिय है, और प्रमुख निवेशक और नौसिखिए ट्रेडर भी मुहूर्त ट्रेडिंग करते समय इन सावधानियों को अपना सकते हैं।
● हैंडसम रिटर्न की उम्मीद न करें: हालांकि स्टॉक खरीदने के लिए मुहूर्त ट्रेडिंग को शुभ माना जाता है, निवेशकों को हमेशा याद रखना चाहिए कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें बाकी साल में अच्छा रिटर्न मिलेगा। नुकसान से बचने के लिए निवेशकों को गहन रिसर्च करना चाहिए, और सही विकल्प चुनने के लिए वित्तीय सलाहकारों की मदद लेनी चाहिए। निवेशकों को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि वे अपने धन को उन शेयरों में लगाएं जो उन्हें उचित रिसर्च के बाद अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करें।
● सेटलमेंट पीरियड को गलत न समझें: मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान किए जाने वाले ट्रेड का सेटलमेंट सामान्य स्टॉक एक्सचेंज नियमों के अनुसार होता है, जो कि T+2 दिन है। ट्रेडर्स को मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान सेटलमेंट की अवधि को गलत नहीं आकना चाहिए, क्योंकि यह सामान्य ट्रेडिंग सेशन जैसी ही है। बाजार, हालांकि, मुहूर्त के दिन कम अस्थिर होते हैं, क्योंकि निवेशक अपने पास पहले से मौजूद स्टॉक को बेचने के बजाय स्टॉक खरीदने के इच्छुक होते हैं।
● कुछ शेयरों में उच्च जोखिम से बचना: मुहूर्त ट्रेडिंग में लिक्विडिटी की कमी होती है, जिसके कारण, निवेशकों को कुछ शेयरों में भारी जोखिम लेने से बचना चाहिए। छुट्टी के दिन बाजार केवल एक घंटे के लिए खुला रहता है, जिसकी वजह से निवेशकों की कम भागीदारी होती है। यह बदले में बाजार की लिक्विडिटी की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
● भावनाओं में बहने से बचें: मुहूर्त ट्रेडिंग निवेशकों के लिए शुभ अवसर है, हालांकि, निवेश के फैसले करते समय उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है। निवेश पर अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए गहन रिसर्च और विशेषज्ञ वित्तीय सलाह लेनी चाहिए।
दिवाली पर निवेशक कहां निवेश कर सकते हैं?
विभिन्न वित्तीय साधन निवेश के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन दीवाली पर सबसे अच्छा निवेश विकल्प निम्नानुसार हैं:
● सोना और चांदी: सोना और चांदी शुरुआती दिनों से ही भारतीय निवेशकों के बीच लोकप्रिय निवेश विकल्प रहे है, क्योंकि तब कई निवेश उपलब्ध नहीं थे। यह भी माना जाता था कि इन धातुओं की कीमतें आमतौर पर लगातार बढ़ती हैं। हालांकि, आज वास्तविकता भिन्न है क्योंकि बहुत अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। एक निवेशक को इन कीमती धातुओं में अपने पूर्ण पोर्टफोलियो का 5% से 8% से अधिक निवेश नहीं करना चाहिए।
● म्यूचुअल फंड: म्यूचुअल फंड लिक्विडिटी और पेशेवर प्रबंधन की तलाश में निवेशकों के लिए उपयुक्त निवेश विकल्प हैं। वे बेहतर रिटर्न, पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन और निवेश में लचीलापन प्रदान करते हैं। निवेशक अपने फंड को अपने निवेश उद्देश्यों के आधार पर डेट फंड, इक्विटी या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में डाल सकते हैं। चूंकि, म्यूचुअल फंड को जोखिम लेने की भूख जरूरी होती है, इसलिए वित्तीय सलाहकारों की सहायता लेना सबसे अच्छा तरीका है।
● इक्विटी: इक्विटी निवेश लंबी अवधि में कई गुना रिटर्न देते हैं, लेकिन इसमें जोखिम भी ज्यादा होता है। इस वजह से इक्विटी में निवेश विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही किया जाना चाहिए। एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो के 15% से 20% से अधिक इक्विटी के लिए आवंटित नहीं करना चाहिए। इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह लिक्विड होते हैं, और इसलिए वे एक लोकप्रिय विकल्प हैं।