New Delhi News, 01 Aug 2019 : यदि परिवार प्रथम पाठशाला है तो माँ उस पाठशाला की प्रथम अध्यापिका है । यदि वह प्रथम शिक्षिका ही अशिक्षित होगी तो परिवार एक अच्छी पाठशाला कैसे सिद्ध हो सकता है I देश के भावी नागरिक योग्य व सुशिक्षित हों इसके लिए उनका पालन पोषण एक सुशिक्षित माँ के नेतृत्व में होना चाहिए Iप्राचीन कालीन भारतीय समाज में ‘नारी’ केवल आदर की पात्र ही नहीं थीं, वरन् उसे पुरुषों के समान स्थान प्राप्त था । भारतीय नारी को बौद्धिक क्षमता, कार्य-कौशल, वाक्पटुता आदि सभी रूप से पुरुषों के समकक्ष समझा जाता था।
अपने उस सांस्कृतिक दौर प्रचलन को पुनः भारत में प्रतिष्ठित करने हेतु तथा नारी को उसका सम्मान दिलाने के प्रयास हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सामाजिक प्रकल्प मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र में करीब चार वर्षों से “स्याही” नामक प्रौढ़ शिक्षा केंद्र का संचालन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत दिल्ली क्षेत्र में 7 प्रौढ़ शिक्षा केंद्र चलाये जा रहे है जिसमें 21 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को मूल विषय जैसे हिंदी भाषा का अध्ययन, मूलगणित, वित्तीय और स्वास्थ्य साक्षरता कौशल हासिल करने में सहायता की जारही हैI इसी क्रम में 27 जुलाई २०१९ को दिल्ली के M.N. Convent School, रोहिणी में 8 वें प्रौढ़ शिक्षा केंद्र – स्याही का उद्घाटन किया गया जिसमें लगभग १५ महिलाओं का नामांकन किया गया हैI
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन और प्रार्थना के साथ हुआ I इसके बाद मंथन के बच्चों द्वारा एक नृत्य “मधुरं”प्रस्तुत किया गया तथा “पहचान” नामक एक नाटक पेश किया गया जिसके माध्यम से महिलाओं को अशिक्षित होने के कारण अपने दैनिक जीवन में होने वाली समस्याओं जैसे बैंक में फॉर्म न भर पाना, अपने बच्चों के स्कूल में जाने से डर लगना, दवाई की पहचान न कर पाना और मेहनत करने के बाद भी पूरा पारिश्रमिक प्राप्त न होना I नाटक के माध्यम से बताया गया की किस प्रकार शिक्षा के द्वारा इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है I प्रौढ़ शिक्षा केंद्र में नामांकितमहिलायोंकोदिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की परिचारिकाओं साध्वी योग दिव्या भारती जी, साध्वी दीपा भारती जी और साध्वी श्रीपदा भारती जी द्वारा स्याही पहचान पत्र और स्टेशनरी किट प्रदान की गयीI इसके साथ ही इस अभियान से जुडी कुछ लाभार्थियों ने अपने अनुभव साँझा कियेजिन मे उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिक्षा ने उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लाया है I एक समय था जब घर-परिवार, समाज और यहाँ तक कि स्वयं अपने मामलों में निर्णय लेने के लिए भी वह अपने पति पर निर्भर रहती थीं लेकिन शिक्षित होने से उनकी मानसिक स्थिति में परिवर्तन आया है और अब वह सभी मामलों में स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हुईं हैं I अब वेन केवल अपने परिवार की देखरेख कर रही हैं अपितु अपने परिवार के रहन सहन के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए आत्मनिर्भर होकर परिवार की आर्थिक रूप से मदद भी कर रहीं हैंI शिक्षा ने उनके भीतर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को सशक्त किया है जिससे आज वे बिना किसी भय के सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले रही हैं I इस प्रकार शिक्षा उनके जीवन को संपूर्ण रूप से सशक्त बनाने में कारगर साबित हुई है I सभी ने उनकी इस कामयाबी पर उन्हें बधाई दीI
अंत में सभी ने महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए उन्हें इसी प्रकार देश के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया एवं उनके आगामी जीवन में और भी सकारात्मक क्रान्ति आने की कामना की I